यहां सेना ने की प्रदर्शनकारी महिलाओं पर ताबड़तोड़ फायरिंग, 9 की मौत, कई घायल

Edited By Updated: 10 Dec, 2025 06:12 AM

here the army opened fire on protesting women killing 9

नाइजीरिया के उत्तर-पूर्वी राज्य अदामावा (Adamawa) में सोमवार को हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। गवाही देने वालों और एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, नाइजीरियन आर्मी के सैनिकों ने महिलाओं पर गोलियां चलाईं, जिसमें 9 महिलाओं की मौत हो गई...

इंटरनेशनल डेस्कः नाइजीरिया के उत्तर-पूर्वी राज्य अदामावा (Adamawa) में सोमवार को हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। गवाही देने वालों और एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, नाइजीरियन आर्मी के सैनिकों ने महिलाओं पर गोलियां चलाईं, जिसमें 9 महिलाओं की मौत हो गई और 10 घायल हुईं। यह जानकारी मंगलवार को एसोसिएटेड प्रेस (AP) को दी गई।

क्या था घटना का पूरा मामला?

घटना लामुर्डे (Lamurde) नाम की स्थानीय प्रशासनिक इकाई में हुई। वहां की महिलाएं सड़क पर प्रदर्शन कर रही थीं, क्योंकि वे सेना के communal clashes (सामुदायिक झड़पों) को संभालने के तरीकों से नाराज़ थीं। गवाहों के मुताबिक, महिलाएं सड़क रोककर सैनिकों को जाने नहीं दे रही थीं। तभी एक सैनिक ने पहले हवा में गोली चलाई और फिर अचानक महिलाओं की तरफ सीधे फायरिंग शुरू कर दी।

सेना ने क्या कहा?

नाइजीरियन आर्मी ने एक बयान जारी कर दोष स्वीकार करने से पूरी तरह इनकार किया।
उनका दावा है कि हमने किसी पर गोली नहीं चलाई। मौतें एक स्थानीय मिलिशिया की वजह से हुई थीं, जिन्होंने गलत तरीके से हथियार चलाए। सेना का कहना है कि मिलिशिया समूह ने ही फायरिंग की, क्योंकि वे हथियारों का सही इस्तेमाल करना नहीं जानते।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सेना को जिम्मेदार ठहराया

एमनेस्टी इंटरनेशनल नाइजीरिया के निदेशक ईसा सनूसी (Isa Sanusi) ने बताया: उनके संगठन ने गवाहों और पीड़ित परिवारों से बात करके पुष्टि की, कि फायरिंग सेना ने ही की थी। उन्होंने कहा कि यह घटना दिखाती है कि नाइजीरियन सेना का मानवाधिकार उल्लंघन का पुराना इतिहास आज भी नहीं बदला है।

हिंसा के पीछे की पृष्ठभूमि

क्षेत्र में बचामा (Bachama) और चोबो (Chobo) नाम के दो जातीय समूहों के बीच जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। बार-बार हिंसा बढ़ने के बाद सरकार ने कर्फ्यू लगाया था। लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि सुरक्षा बल कर्फ्यू लागू ही नहीं कर रहे, जिसके कारण झड़पें लगातार हो रही हैं।

लामुर्डे के स्थानीय पार्षद लॉसन इग्नेशियस ने बताया कि लोग नाराज़ थे क्योंकि सेना और पुलिस कर्फ्यू लागू नहीं कर रही थी और हिंसा रुक नहीं रही थी।

अतीत में भी ऐसे मामले

नाइजीरिया में ऐसा पहली बार नहीं हुआ। विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए सैनिकों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग आम बात है। 2020 में लागोस में पुलिस अत्याचार (EndSARS movement) के खिलाफ विरोध के दौरान भी सैनिकों ने फायरिंग की थी, जिसे सरकारी जांच आयोग ने “नरसंहार” बताया था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ा

नाइजीरिया की सेना पर पहले से ही गंभीर सवाल उठ रहे थे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया था कि नाइजीरिया में मसीही समुदाय (Christians) को निशाना बनाया जा रहा है और सुरक्षा बल उन्हें बचाने में विफल हो रहे हैं। हालांकि स्थानीय लोग बताते हैं कि हिंसा में मुस्लिम और ईसाई दोनों समुदाय प्रभावित हैं।

एमनेस्टी की मांग

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस घटना की तुरंत जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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