PoK में तबाही: ग्लेशियर झील फटने से बाढ़ में बह गए सड़क और पुल, भूस्खलन से 9 की मौत

Edited By Updated: 11 Aug, 2025 06:35 PM

nine killed in landslide floods wreak havoc in pok s gilgit baltistan

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित क्षेत्र में बाढ़ से क्षतिग्रस्त दरिया की मुरम्मत के दौरान भूस्खलन में दबकर 9 स्वयंसेवकों की मौत हो गई तथा तीन अन्य घायल हो गए...

Peshawar: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित क्षेत्र में बाढ़ से क्षतिग्रस्त दरिया की मुरम्मत के दौरान भूस्खलन में दबकर 9 स्वयंसेवकों की मौत हो गई तथा तीन अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना रविवार रात दान्योर नाले पर घटी जब भारी मात्रा में मिट्टी श्रमिकों पर गिर गयी और मलबे के नीचे दबने से कई लोगों की मौत हो गई। स्थानीय अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया तथा स्थानीय निवासियों की मदद से बचाव कार्य शुरू किया गया। अस्पताल के अधिकारियों ने नौ मौतों की पुष्टि की और चेतावनी दी है कि और लोग फंसे हो सकते हैं।

 

उन्होंने बताया कि घायलों का इलाज किया जा रहा है। एक अलग घटना में, पिछले शुक्रवार को शीशपर ग्लेशियर से बनी एक झील के तटबंध टूटने से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अचानक आई बाढ़ के चलते पाकिस्तान को चीन से जोड़ने वाले काराकोरम राजमार्ग का एक हिस्सा बह गया। ‘द डॉन' अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ ने सुरक्षात्मक दीवारों को नष्ट कर दिया, कृषि भूमि को नुकसान पहुंचाया तथा 50 से अधिक घरों को खतरा पैदा हो गया। अधिकारियों ने कहा कि यह 2018 के बाद से हसनाबाद दरिया में आई सबसे भीषण बाढ़ थी, जिससे अलीबाद और आसपास के गांवों की सिंचाई और पेयजल आपूर्ति व्यवस्था क्षतिग्रस्त हो गई और हुंजा की अधिकांश आबादी का मुख्य सड़क संपर्क टूट गया।

 

हुंजा और नगर के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (GBDMA) के सहायक निदेशक जुबैर अहमद खान ने कहा, ‘‘बाढ़ 2018 के बाद से दरिया में आयी सबसे भीषण बाढ़ थी।'' बाढ़ ने क्षेत्र के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित किया। नगर खास में होपर वैली मार्ग अवरुद्ध हो गया, टोकोरकोट गांव में एक पुल बह गया और शिमशाल घाटी में एकमात्र पहुंच मार्ग तथा तटबंधों को नुकसान पहुंचा। सिंचाई और पेयजल आपूर्ति प्रणालियों की बहाली ठप हो गई, जिससे कुछ क्षेत्रों में हजारों लोग पीने के पानी से वंचित रह गए। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस वर्ष बार-बार चलने वाली गर्म लहरों (हीटवेव) और रिकॉर्ड तोड़ तापमान ने ग्लेशियरों के पिघलने की गति को तेज कर दिया है, जिससे इस क्षेत्र में ऐसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ गई है।  

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