पाक हाईकोर्ट ने स्कूल नरसंहार मामले में लगाई इमरान की क्लास, TTP समझौते पर पूछे कड़े सवाल

Edited By Tanuja,Updated: 11 Nov, 2021 12:30 PM

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सेना द्वारा संचालित एक स्कूल पर 2014 में आतंकी हमला से जुड़े मामले की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री

पेशावरः सेना द्वारा संचालित एक स्कूल पर 2014 में आतंकी हमला से जुड़े मामले की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को  बुधवार को कई सवालों का सामना करन पड़ा। अदालत की एक पीठ ने  स्कूल नरसंहार मामले में इमरान की जमकर क्लास लगाई और  कड़े सवाल-जवाब  भी किए। अदालत ने सवाल किया कि वह करीब 150 लोगों के नरसंहार के दोषियों के साथ बातचीत क्यों कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश ने इमरान खां को याद दिलाया कि इस 16 दिसंबर, 2014 को हुए नरसंहार को सात साल बीत चुके हैं और अब तक दोषियों के खिलाफ कार्वाई नहीं की गई है। बता दें कि इस हमले में मारे गए लोगों में ज्यादातर छात्र थे।

 

अदालत ने सरकार को उस भीषण हमले में सुरक्षा विफलता की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक महीने का समय दिया है जिसमें 16 दिसंबर, 2014 को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकवादियों ने पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला कर 147 लोगों की जान ले ली थी। मृतकों में 132 बच्चे थे। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश गुलज़ार अहमद की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने खान को तलब किया था। पीठ में न्यायमूर्ति काजी मोहम्मद अमीन अहमद और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन भी शामिल हैं। इस हमले की जांच एक विशेष आयोग ने की थी। विशेष आयोग की रिपोर्ट पिछले हफ्ते अदालत में पेश की गयी थी। आयोग ने कहा था कि हमले के लिए सुरक्षा विफलता जिम्मेदार थी। पीठ ने इस संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में इमरान से सवाल किए।

 

प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति अहसन ने कहा कि स्कूल पर हमले में अपने बच्चों को खोने वाले अभिभावकों की संतुष्टि आवश्यक है। पीठ ने सुरक्षा विफलता के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय TTP  के साथ बातचीत करने के लिए भी सरकार को आड़े हाथों लिया। न्यायमूर्ति अमीन ने प्रधानमंत्री से कहा, "अगर सरकार इन बच्चों के हत्यारों के साथ हार के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने जा रही थी ... क्या हम एक बार फिर आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं?" प्रधान न्यायाधीश अहमद ने इमरान से कहा, "आप सत्ता में हैं। सरकार भी आपकी है। आपने क्या किया? आप दोषियों को बातचीत की मेज पर ले आए।"

 

इमरान ने अपने जवाब में कहा कि हमले के समय उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी खैबर-पख्तूनख्वा में शासन में थी और यह केवल मुआवजा मुहैया करा सकती थी जो उसने पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक सहायता देकर किया था। इमरान खां के इस जवाब से नाराज प्रधान न्यायाधीश अहमद ने टिप्पणी की कि प्रधानमंत्री पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं। डॉन अखबार ने उनके हवाले से कहा, "अभिभावक पूछ रहे हैं कि (उस दिन) सुरक्षा व्यवस्था कहां थी? हमारे व्यापक आदेशों के बावजूद, कुछ भी नहीं किया गया।" इसके बाद, इमरान ने कहा कि अगर अदालत कहती है तो उनकी सरकार किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करेगी।

 

उन्होंने कहा, "कोई भी पवित्र गाय नहीं है और अदालत के आदेश के परिदृश्य में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।" सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने सुनवाई के बाद मीडियाकर्मियों को बताया कि अदालत ने उन लोगों के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की है जिनकी हमले को रोकने की नैतिक जिम्मेदारी थी, लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि सरकार निर्देशों का पालन करेगी।

 

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