Edited By Tanuja,Updated: 31 Jan, 2022 05:25 PM

पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय की आबादी तेजी से घट रही है। वजह है पिछले कई दशकों से पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के मुस्लिमों के खिलाफ ...
पेशावरः पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय की आबादी तेजी से घट रही है। वजह है पिछले कई दशकों से पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के मुस्लिमों के खिलाफ घृणा अभियान चल रहा है। पाकिस्तान का संविधान उन्हें मुस्लिम कहने से रोकता है और उन्हें सार्वजनिक तौर पर धार्मिक कार्यकलाप से रोकता है। पाकिस्तान में अब उनके घरों और धार्मिक स्थानों पर हमले काफी बढ़ गए हैं जिस कारण पाकिस्तान के पेशावर में रहने वाले अहमदिया समुदाय के मुस्लिम अपना घर बेचकर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं। उन्हें पाकिस्तान में रहने पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिलती हैं। पेशावर में बड़ी संख्या में अहमदी अपना घर खाली कर चुके हैं>
पाकिस्तान में 40 लाख अहमदी रहते हैं। पाकिस्तान में 2020 की जनगणना के मुताबिक वहां अहमदिया समुदाय अब आबादी का सिर्फ 0.09 फीसदी ही रह गया है। जबकि 1998 की जनगणना में यह आंकड़ा 0.22 फीसदी था। समुदाय के लोगों का कहना है कि पाक में अब अहमदियाओं की आबादी सिर्फ 4-5 लाख तक सिमट गई है। 2018 में चुनाव आयोग ने अहमदिया वोटरों कीसंख्या 1लाख 67 हजार बताई थी।
अहमदी ऐसा मुस्लिम समुदाय है जो हज़रत मोहम्मद को आखरी पैगम्बर स्वीकार नहीं करते। अहमदिया समुदाय के लोग हनफी इस्लामिक कानून का पालन करते हैं। इसकी शुरुआत हिंदुस्तान में मिर्ज़ा गुलाम अहमद ने की थी। ये लोग मिर्ज़ा गुलाम अहमद एक नबी यानी खुदा के दूत थे जबकि इस्लाम के ज़्यादातर फिरके मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर मानते हैं। ये लोग नमाज़, दाढ़ी, टोपी, बातचीत व लहजे से मुसलमान लगते हैं, वे खुद को मुसलमान मानते भी हैं लेकिन उन्हीं के देश में दूसरे मुसलमान उन्हें मुसलमान नहीं मानते । वजह कि अहमदिया इस्मालिक मूल्यों में से एक 'पैगंबर मोहम्मद को आखिरी नबी' नहीं मानते इसके चलते मुस्लिम देशों में भी वे मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं।