Edited By Tanuja,Updated: 18 Dec, 2025 11:41 AM

पाकिस्तान में बैन के बावजूद भारतीय फिल्म ‘धुरंधर’ वहां अंडरग्राउंड हिट बन गई है। दो हफ्तों में 20 लाख से ज्यादा अवैध डाउनलोड हुए हैं। ISI डिजिटल स्पेस पर नियंत्रण में विफल रही है, जिससे भारत को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली है।
Islamabad: पाकिस्तान और कुछ खाड़ी देशों में प्रतिबंध के बावजूद भारतीय फिल्म ‘धुरंधर’ पाकिस्तान में एक अंडरग्राउंड सनसनी बन चुकी है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के तमाम प्रयासों के बावजूद फिल्म को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर रोकने में पूरी तरह नाकामी हाथ लगी है। 1999 कंधार विमान अपहरण, 26/11 मुंबई आतंकी हमले और ल्यारि गैंग वॉर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर आधारित यह फिल्म पाकिस्तान की सत्ता और सैन्य प्रतिष्ठान को रास नहीं आ रही। इसी वजह से वहां इसके प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन इसका उलटा असर देखने को मिला। सूत्रों के अनुसार, सिर्फ दो हफ्तों में पाकिस्तान में फिल्म के 20 लाख से अधिक अवैध डाउनलोड हो चुके हैं। ‘धुरंधर’ पाकिस्तान की अब तक की सबसे ज्यादा पायरेटेड फिल्म बन गई है, जिसने ‘2.0’ और ‘रईस’ जैसी फिल्मों को भी पीछे छोड़ दिया।
ISI की डिजिटल हार
ISI इंटरनेट पर निगरानी के बावजूद टोरेंट्स, टेलीग्राम चैनल, VPN और अंडरग्राउंड स्ट्रीम्स को रोकने में असफल रही है। डार्क वेब विशेषज्ञों द्वारा श्रीलंका, नेपाल और मलेशिया के सर्वरों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान में फिल्म पहुंचाई जा रही है। फिल्म में ल्यारि की हिंसक सच्चाई दिखाए जाने से पाकिस्तान में खासा आक्रोश है। सिंध सरकार के सूचना मंत्री शरजील इनाम मेमन ने इसे भारत का “नकारात्मक प्रचार” बताते हुए जनवरी में ‘मेरा ल्यारि’ नामक फिल्म रिलीज़ करने की घोषणा की है।
कानूनी पैंतरे
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने कराची कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिवंगत बेगम बेनजीर भुट्टो की तस्वीरों के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है और फिल्म के कलाकारों व निर्माताओं के खिलाफ FIR की मांग की है। फिल्म में रणवीर सिंह एक भारतीय जासूस की भूमिका में हैं, जो पाकिस्तान के ल्यारि इलाके में घुसकर ISI समर्थित आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करता है। फिल्म में अक्षय खन्ना, संजय दत्त, आर. माधवन, अर्जुन रामपाल और राकेश बेदी भी अहम भूमिकाओं में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रतिबंध के बावजूद बढ़ती लोकप्रियता यह साबित करती है कि पाकिस्तान इस नैरेटिव पर रक्षात्मक स्थिति में है, और यही भारत की सबसे बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत है।