Edited By Parveen Kumar,Updated: 18 Dec, 2025 06:57 PM

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब सस्ते कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक सामग्री को लेकर की गई सरकार की मांग को खारिज कर दिया गया। IMF ने स्पष्ट कर दिया है कि गर्भनिरोधक वस्तुओं पर लगने वाले...
नेशनल डेस्क: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब सस्ते कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक सामग्री को लेकर की गई सरकार की मांग को खारिज कर दिया गया। IMF ने स्पष्ट कर दिया है कि गर्भनिरोधक वस्तुओं पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी (GST) में किसी तरह की कटौती फिलहाल संभव नहीं है। IMF का तर्क है कि टैक्स में छूट देने से पाकिस्तान के राजकोष पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
कर्ज और अंतरराष्ट्रीय मदद के सहारे चल रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी हद तक IMF की शर्तों पर टिकी हुई है। इन शर्तों से हटने की स्थिति में देश को डिफॉल्ट का सामना करना पड़ सकता है, जिससे विदेशी सहायता रुकने और आर्थिक अराजकता पैदा होने का खतरा है।
डांवाडोल अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए पाकिस्तान को IMF की 37 महीने की एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) और रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF) के तहत कर्ज मिला है। इन पैकेजों का मकसद आर्थिक विकास, राजकोषीय स्थिरता और जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को कम करना बताया गया है। IMF अब तक पाकिस्तान को करीब 3.3 अरब डॉलर जारी कर चुका है, जबकि हाल ही में 1.2 अरब डॉलर की अतिरिक्त राशि भी मंजूर की गई है।
हालांकि यह बेलआउट पैकेज सख्त शर्तों के साथ दिया जा रहा है, जिसमें शासन सुधार, राजस्व बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने पर खास जोर है। इसी कड़ी में IMF ने कंडोम, सैनिटरी पैड और अन्य जरूरी वस्तुओं पर टैक्स में राहत देने से इनकार कर दिया है।
शहबाज शरीफ के निर्देश पर पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) ने गर्भनिरोधक वस्तुओं से 18 प्रतिशत GST हटाने के लिए IMF से औपचारिक अनुमति मांगी थी। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, IMF अधिकारियों ने साफ कर दिया कि मौजूदा बेलआउट प्रोग्राम के बीच किसी भी तरह की टैक्स छूट संभव नहीं है। इस मुद्दे पर केवल वित्त वर्ष 2026–27 के बजट के दौरान ही विचार किया जा सकता है।
FBR के अनुमान के अनुसार, कंडोम पर GST हटाने से सरकारी खजाने पर 40 से 60 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। IMF ने इसे मौजूदा हालात में अस्वीकार्य बताया है, खासकर तब जब पाकिस्तान 13.979 खरब रुपये के संशोधित राजस्व लक्ष्य को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
IMF ने सैनिटरी पैड और बेबी डायपर पर GST घटाने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है। वॉशिंगटन स्थित संस्था ने चेतावनी दी है कि ऐसी रियायतें टैक्स अनुपालन को कमजोर कर सकती हैं और तस्करी को बढ़ावा दे सकती हैं।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान की जनसंख्या वृद्धि दर 2.55 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे अधिक दरों में शामिल है। हर साल करीब 60 लाख की आबादी बढ़ने वाले पाकिस्तान में गर्भनिरोधक साधनों के महंगे बने रहने से परिवार नियोजन की कोशिशों को झटका लग सकता है, साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव और बढ़ने की आशंका है।