तालिबान के सर्वोच्च नेता ने सरकार गठन पर बातचीत पूरी की, नई सरकार की घोषणा 2 सप्ताह में

Edited By vasudha,Updated: 02 Sep, 2021 11:07 AM

taliban supreme leader completes talks on government formation

इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (आई.ई.ए.) के अधिकारियों ने कहा कि आई.ई.ए. के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा के नेतृत्व में काबुल में सरकार के गठन को लेकर वार्ता सोमवार 30 अगस्त को समाप्त हो गई।खामा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार मुल्ला...

काबुल (अनस) : इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (आई.ई.ए.) के अधिकारियों ने कहा कि आई.ई.ए. के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा के नेतृत्व में काबुल में सरकार के गठन को लेकर वार्ता सोमवार 30 अगस्त को समाप्त हो गई।खामा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार मुल्ला अखुंदजादा हाल ही में कंधार प्रांत से अफगानिस्तान की राजधानी पहुंचा है जहां उसने कबायली बुजुर्गों से सिलसिलेवार बातचीत की।  

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि नई सरकार की घोषणा की सही तारीख का खुलासा नहीं किया गया है परंतु सूचना और संस्कृति मामलों के कार्यवाहक मंत्री और तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि नई सरकार की घोषणा 2 सप्ताह के अंदर कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकारों के आंकड़े उनकी नई सरकार का हिस्सा नहीं होंगे क्योंकि वे विफल हो गए हैं और लोग नहीं चाहते कि वे अब सत्ता में रहें।  इस बीच, दोहा में स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के उप प्रमुख मुहम्मद अब्बास स्टानेकजई क्षेत्रीय देशों के प्रतिनिधियों से बातचीत में व्यस्त हैं। कार्यालय के प्रवक्ता नईम वरदाक ने कहा कि अब्बास देशों से चर्चा में उन्हें विश्वास दिला रहे हैं कि अफगानिस्तान से उन्हें कोई भी खतरा नहीं है।


सरकार गठन पर तालिबान के 2 गुटों में जंग
सरकार बनाने को लेकर तालिबान के 2 धड़ों में फूट पड़ गई है। अफगानिस्तान में मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा के साथ सरकार बनाने को लेकर तालिबान नेतृत्व और हक्कानी नैटवर्क में खींचतान चल रही है। तालिबान की स्थापना करने वाले मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब की चाहत है कि कैबिनेट में राजनीति से जुड़े लोगों की बजाय सेना से जुड़े लोगों को लाया जाए जबकि तालिबान के सह-संस्थापक नेता मुल्लाह बरादर की इच्छा ठीक इसके विपरीत है।  यह खींचतान गैर-पश्तून तालिबान और कंधार धड़े के बीच है, ठीक वैसे ही जैसे पश्तून और गैर-पश्तूनों के बीच फासला होता है। तालिबान में जहां हर धड़ा अपने फायदे को लेकर लड़ रहा है, वहीं शीर्ष नेतृत्व को इस बात की ङ्क्षचता सता रही है कि कहीं यह कलह सार्वजनिक न हो जाए और आपस में ही अलग-अलग धड़ों के बीच उसी तरह ङ्क्षहसा न छिड़ जाए, जैसे 1990 के दशक में देखने को मिलती थी।

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