यूक्रेन संघर्ष को वार्ता के जरिए सुलझाया जाना चाहिए : जयशंकर

Edited By Parveen Kumar,Updated: 11 Nov, 2022 12:36 AM

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को वार्ता के जरिए सुलझाए जाने की आवश्यकता को बृहस्पतिवार को दोहराया, लेकिन साथ ही कहा कि इस बारे में बात करना जल्दबाजी होगी कि क्या भारत युद्धरत देशों के बीच शांति कायम करने में भूमिका निभा...

नेशनल डेस्क : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को वार्ता के जरिए सुलझाए जाने की आवश्यकता को बृहस्पतिवार को दोहराया, लेकिन साथ ही कहा कि इस बारे में बात करना जल्दबाजी होगी कि क्या भारत युद्धरत देशों के बीच शांति कायम करने में भूमिका निभा सकता है। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस संदेश को रेखांकित किया कि ‘‘आज का युग युद्ध का नहीं है।''

उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ' (विकसित एवं विकासशील देश) किसी निर्णय को प्रभावित करने की वास्तविक क्षमता नहीं रखता, लेकिन वह युद्ध के प्रभाव का खामियाजा महसूस कर रहा है। जयशंकर ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट' में कहा, ‘‘आपने पूछा कि क्या यह उचित समय है या क्या अभी कुछ भी कहना या करना जल्दबाजी होगी? मुझे लगता है कि आपका प्रश्न ही उचित समय से पहले पूछा गया है। हम आज की समस्याओं को मॉडल या अनुभवों के आधार पर नहीं देख सकते। हम आज जिस स्थिति में रह रहे हैं, यह एक बहुत ही अलग स्थिति है।''

जयशंकर से शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका को लेकर बढ़ती अटकलों पर सवाल किया गया था। उनसे पूछा गया था कि क्या नयी दिल्ली संघर्ष को समाप्त करने में भूमिका निभाने की इच्छुक है। मोदी ने सितंबर में उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में एक बैठक के दौरान पुतिन से कहा था कि ‘‘आज का युग युद्ध का नहीं है।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘यह युद्ध का युग नहीं' है। मेरी अपनी समझ है कि ऐसे देश हैं, जो यह नहीं मानते हैं कि इस तरह के मुद्दों को युद्ध के मैदान में सुलझाया जा सकता है, जो मानते हैं कि देशों को बातचीत की मेज पर लौटने की तत्काल आवश्यकता है, जो पीड़ा को देख सकते हैं।''

जयशंकर ने कहा, ‘‘जिन दूसरे देशों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, उनका इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।'' उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह बाली में होने वाला जी20 शिखर सम्मेलन यूक्रेन संघर्ष पर सदस्य देशों की भावनाओं की ओर संभवत: संकेत करेगा। जयशंकर ने कहा, ‘‘फिलहाल, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भावनाओं का आवेग है। मैं कहूंगा कि जो हो रहा है, उसे मजबूत विचार, ध्रुवीकरण के रूप में दर्शाया जा सकता है, लेकिन राजनीति, रणनीति या ... यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में, एक तरह से, इसे पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण के रूप में लिया जाता है।''

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अगर आप इसके प्रभावों को देखते हैं, तो कुछ हद तक, यह उत्तर-दक्षिण ध्रुवीकरण बन गया है क्योंकि दक्षिण (विकसित एवं विकासशील देश) वास्तव में किसी भी निर्णय को प्रभावित किए बिना इसके प्रभाव का खामियाजा महसूस कर रहा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के हमारे हिस्से में अन्य भी कई मुद्दे हैं, उनमें से कुछ आर्थिक मुद्दे हैं।'' उन्होंने कहा कि इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कानून, नियमों, एवं मानदंडों का सम्मान, एक-दूसरे के साथ व्यवहार, एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान भी अन्य मुद्दे हैं। जयशंकर ने कहा कि इनमें से कुछ जी20 को प्रभावित करेंगे, लेकिन यह इन मुद्दों को सुलझाने या इन मुद्दों पर खुलकर बहस करने का मंच नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से पुतिन के साथ-साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार बात की है।

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