Edited By Mamta Yadav,Updated: 21 Oct, 2025 03:05 PM

प्रदेश में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य के 18 जिलों में 22 नई विशेष भ्रष्टाचार निवारण अदालतों (Anti-Corruption Courts) की स्थापना की जा रही है। इस संबंध में 16 अक्टूबर 2025 को प्रमुख सचिव संजय प्रसाद द्वारा...
Lucknow News: प्रदेश में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य के 18 जिलों में 22 नई विशेष भ्रष्टाचार निवारण अदालतों (Anti-Corruption Courts) की स्थापना की जा रही है। इस संबंध में 16 अक्टूबर 2025 को प्रमुख सचिव संजय प्रसाद द्वारा संबंधित विभागों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। नई व्यवस्था के तहत अब भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई स्थानीय स्तर पर ही होगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी। पहले कई जिलों के मामलों की सुनवाई के लिए आरोपियों को मेरठ, लखनऊ या अन्य दूर के जिलों में भेजा जाता था।
किन जिलों में बनेंगी नई कोर्ट?
इन 22 अदालतों में से कुछ प्रमुख जिले और उनके अधीन आने वाले जिले निम्नलिखित हैं:-
- मेरठ (2 कोर्ट): कोर्ट 1: मेरठ, बागपत, हापुड़
- कोर्ट 2: गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर
- सहारनपुर: सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली
- बरेली: बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर
- मुरादाबाद: मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, संभल
- आगरा: आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद
इसके अलावा अलीगढ़, कानपुर, झांसी, लखनऊ (2 कोर्ट), अयोध्या, प्रयागराज, बांदा, वाराणसी (2 कोर्ट), मिर्जापुर, आजमगढ़, गोरखपुर (2 कोर्ट), बस्ती और गोंडा में भी विशेष न्यायालय स्थापित किए जा रहे हैं।
अब क्या बदलेगा?
पहले भ्रष्टाचार से जुड़े अधिकतर मामलों में सीमित अदालतें होने के कारण लंबी दूरी तय कर आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाता था। इससे न्याय प्रक्रिया में देरी होती थी और सरकारी संसाधनों की खपत बढ़ती थी।
- नई कोर्ट के खुलने से: सुनवाई में तेजी आएगी
- स्थानीय स्तर पर न्याय प्रक्रिया सुलभ होगी
- पुलिस और अभियोजन विभाग की कार्यवाही में सुविधा होगी
- भ्रष्टाचार के मामलों में प्रभावी नियंत्रण संभव होगा
कौन होंगे जिम्मेदार अधिकारी?
इन विशेष न्यायालयों की जिम्मेदारी एडीजे / विशेष न्यायाधीशों को सौंपी गई है, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत नेताओं, राजपत्रित अधिकारियों, पुलिस कर्मियों समेत अन्य सरकारी कर्मचारियों के मामलों की सुनवाई करेंगे।
प्रेषित आदेश की प्रतिलिपि इन विभागों को भेजी गई है:
- इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक
- उत्तर प्रदेश के महालेखाकार
- प्रमुख सचिव, न्याय और विधि परामर्श
- डीजीपी, यूपी
- एडीजी एंटी करप्शन
- पुलिस कमिश्नर व एसएसपी
- अभियोजन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी
- गृह (गोपन) अनुभाग