Edited By Radhika,Updated: 06 Aug, 2025 11:53 AM

चांद पर इंसानों को बसाने की तैयारी चल रही है और इस सपने को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियां अब चांद पर बिजली पैदा करने की योजना बना रही हैं। चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की रेस में अमेरिका, रूस, चीन और भारत जैसे देश शामिल हो चुके हैं।चांद...
नेशनल डेस्क: चांद पर इंसानों को बसाने की तैयारी चल रही है और इस सपने को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियां अब चांद पर बिजली पैदा करने की योजना बना रही हैं। चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की रेस में अमेरिका, रूस, चीन और भारत जैसे देश शामिल हो चुके हैं।
अमेरिका और चीन-रूस की तैयारी
अमेरिका की NASA ने Artemis मिशन के तहत 2027 तक इंसानों को चांद पर भेजने की तैयारी कर ली है। इसके साथ ही उनका अगला बड़ा कदम चांद पर एक न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाना है। NASA ने इसके लिए भारी-भरकम बजट भी मांगा है हालांकि अभी इसकी कुल लागत का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
वहीं दूसरी ओर चीन और रूस भी इस रेस में पीछे नहीं हैं। दोनों देशों ने मिलकर 2035 तक चांद पर एक न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने की योजना बनाई है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी Roscosmos और चीन की CNSA ने इस मिशन के लिए एक समझौते (MoU) पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
भारत की स्थिति और चुनौतियां
इस रेस में भारत की ISRO भी शामिल है, लेकिन उसकी रफ्तार बाकी देशों के मुकाबले धीमी है। ISRO लगातार इस दिशा में काम कर रहा है, लेकिन अभी वह अमेरिका और चीन-रूस के सामने काफी पीछे नजर आता है।
चांद पर न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने में कई चुनौतियां और सवाल भी हैं। जैसे:
- क्या रिएक्टर से रेडिएशन लीक होने का खतरा होगा?
- क्या चांद की सतह इतने बड़े न्यूक्लियर झटके को सह पाएगी?
- कहीं यह कदम भविष्य में चांद पर इंसानों को बसाने के सपने को खतरे में तो नहीं डाल देगा?
NASA ने पहले भी छोटे रेडियो थर्मल जनरेटर बनाए हैं, लेकिन यह नया सिस्टम काफी बड़ा और ज्यादा शक्तिशाली होगा। इन चुनौतियों का समाधान करना सभी देशों के लिए एक बड़ी परीक्षा होगी।