Edited By Mansa Devi,Updated: 26 Nov, 2025 11:04 AM

प्रधानमंत्री मोदी ने भी राजनीतिक समझ दिखाई है। तनाव के दौर के बाद भी, गहराई से और बड़े पैमाने पर जुड़ने की उनकी इच्छा दिखाती है कि कनाडा चारत की आर्थिक यात्रा में एक अहम पार्टनर है। दोनों ने मिलकर 2030 तक 50 बिलियन अमरीकी डालर के आपसी व्यापार का...
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री मोदी ने भी राजनीतिक समझ दिखाई है। तनाव के दौर के बाद भी, गहराई से और बड़े पैमाने पर जुड़ने की उनकी इच्छा दिखाती है कि कनाडा चारत की आर्थिक यात्रा में एक अहम पार्टनर है। दोनों ने मिलकर 2030 तक 50 बिलियन अमरीकी डालर के आपसी व्यापार का लक्ष्य रखा है। यह एक बड़ा लक्ष्य है, जो अगर हासिल हो जाता है, तो मौजूदा व्यापार की मात्रा से लगभग दोगुना हो जाएगा।
नौतियों से पार पाना साफगोई, हिम्मत और मैंट:
यह नई रफ्तार अपने आप नहीं आई। जैसा ई देखने वालों ने जाना है, कुछ चुने हुए अधिकारियों पार्टी के संगठनों ने जानबूझकर इस पार्टनरशिप को से उतारने की कोशिश की। ये लोग पुराने तनावों पने फायदे के लिए लाभ उठांना चाहते थे। लेकिन कार्नी सरकार ने सोच में साफगोई और राजनीतिक हिम्मत दिखाई, पीछे हटने की बजाय, वह और ज्यादा पक्के इरादे के साथ आगे बढ़ी।
बातचीत का फिर से शुरू होना डिप्लोमैटिक रिश्तों में नरमी के संदर्भ में भी है। पिछले तनावों, खासकर सिक्योरिटी और भरोसे को लेकर, की वजह से 2023 में व्यापारिक बातचीत रुक गई थी। कार्नी और मोदी के बीच नई मीटिंग कोई औपचारिक कदम नहीं है, यह फिर से भरोसा बनाने और आपसी फायदे वाली पार्टनरशिप बनाने का एक बुनियादी फैसला है।
एक बड़ी पार्टनरशिप:
सिर्फ ट्रेड से आगे दोनों नेताओं ने जिस सी.ई.पी.ए. की सोच रखी है, वह बड़ा और महत्वाकांक्षी है। भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, नई बातचीत में सामान, सर्विस, इन्वैस्टमैंट, कृषि, डिजिटल ट्रेड, लेबर मोबिलिटी और सस्टेनेबल डिवैल्पमैंट जैसे कई क्षेत्र शामिल होंगे। इसके साथ ही, कार्नी और मोदी ने डिफैंस, स्पेस, सिविल न्यूक्लियर एनर्जी और लंबे समय तक यूरेनियम सप्लाई में पार्टनरशिप को और गहस करने का भी वादा किया है।
इस कोशिश की कामयाबी में भारतीय हाई कमिश्नर दिनेश पटनायक का रोल खास तारीफ के काबिल है। उन्होंने न सिर्फ बातचीत के रास्ते फिर से बनाए, बल्कि गलतफहमियों और पॉलिटिकल तनाव कम करने तथा दोनों देशों के बीच भरोसा फिर से बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है। उनकी कूटनीतिक संवेदनशीलता, बैलेंस्ड अप्रोच और रिश्ते को नकारात्मक असर से बचाने के पके इरादे ने सी.ई.पी.ए. को फिर से शुरू करने के लिए एक मजबूत नींव रखी है। यह सिर्फ एक ट्रेड एग्रीमेंट नहीं, यह एक स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप है, जो सांझे लोकतांत्रिक मूल्यों, सम्प्रभुता के सम्मान और ग्लोबल कोऑपरेशन के दीर्घकालिक विजन पर आधारित है।