Edited By Mehak,Updated: 15 Nov, 2025 02:13 PM

बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा ने अनुशासनहीनता के मामलों पर सख्त कार्रवाई की है। वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह, कटिहार की मेयर ऊषा अग्रवाल और एमएलसी अशोक अग्रवाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में छह साल के लिए...
नेशनल डेस्क : बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के मामलों पर कड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह के साथ कटिहार की मेयर ऊषा अग्रवाल और विधान परिषद सदस्य अशोक अग्रवाल को छह साल के लिए निलंबित कर दिया है। इन नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे।
पार्टी का नोटिस - 'गतिविधियां पार्टी के खिलाफ'
भाजपा ने अपने आधिकारिक पत्र में कहा कि संबंधित नेताओं की गतिविधियां पार्टी के सिद्धांतों और अनुशासन के विपरीत पाई गईं, जिससे संगठन की छवि और चुनावी माहौल को नुकसान पहुंचा। नोटिस में यह भी कहा गया कि उन्हें एक सप्ताह के भीतर अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा, अन्यथा उन्हें पार्टी से पूरी तरह निष्कासित किया जा सकता है।
चुनाव के बाद बागियों पर पहली कार्रवाई
विधानसभा चुनाव के दौरान आर.के. सिंह कई बार पार्टी नेतृत्व और गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ खुलकर बयान देते दिखे। उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तीखे आरोप लगाए और प्रशांत किशोर के आरोपों का समर्थन भी किया। माना जा रहा है कि उनके लगातार विवादित बयानों ने पार्टी नेतृत्व को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
आर.के. सिंह ने पार्टी के खिलाफ क्या कहा था?
सितंबर में एक जनसभा में आर.के. सिंह ने कहा था कि भ्रष्टाचार के मामलों में उनके पास कई सबूत हैं और यदि कोई उन्हें चुनौती देगा, तो वे सबके 'काले कारनामे' सामने ला देंगे। उन्होंने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी तीखे बयान दिए और राज्य में शराबबंदी हटाने की भी मांग की थी।