'पाकिस्तानी कर्नल ने 30 हजार रुपए देकर भारतीय सेना की चौकी पर हमले के लिए भेजा था', पकड़े गए PAK आतंकी ने कबूला

Edited By Updated: 25 Aug, 2022 09:12 AM

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जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी को पाक खुफिया एजेंसी के एक कर्नल ने भारतीय सेना की चौकी पर हमले के लिए 30,000 रुपए दिए थे।

नेशनल डेस्क: जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी को पाक खुफिया एजेंसी के एक कर्नल ने भारतीय सेना की चौकी पर हमले के लिए 30,000 रुपए दिए थे। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कोटली के सब्जकोट गांव के निवासी 32 वर्षीय तबारक हुसैन को रविवार को नौशेरा सेक्टर में गिरफ्तार किया गया था। हुसैन के साथी भारतीय सैनिकों द्वारा ललकारे जाने पर उसे छोड़कर वापस भाग गए थे। अधिकारियों ने कहा कि पिछले छह साल में दूसरी बार हुसैन को सीमापार से इस तरफ घुसपैठ की कोशिश करने के दौरान गिरफ्तार किया गया। वह पाकिस्तानी सेना की एक खुफिया इकाई के लिए भी काम करता था।

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सेना की 80 इन्फेंट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर कपिल राणा ने बताया कि 21 अगस्त को सुबह के समय झानगड़ में तैनात चौकन्ने जवानों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दूसरी तरफ से दो से तीन आतंकवादियों की गतिविधि देखी। उन्होंने कहा, ‘‘एक आतंकवादी भारतीय चौकी के करीब आया और उसने बाड़ काटने की कोशिश की। चौकन्ने जवानों ने उसे ललकारा। हालांकि भागने की कोशिश कर रहा आतंकवादी गोली लगने से घायल हो गया।'' अधिकारी ने कहा कि पीछे छिपे हुए दो आतंकवादी घने जंगल की आड़ में भाग निकले। उन्होंने कहा, ‘‘घायल पाकिस्तानी आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया गया और तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने के साथ उसकी सर्जरी की गयी।''

 

ब्रिगेडियर राणा ने कहा कि पकड़े गए आतंकवादी ने अपनी पहचान PoK में कोटली के सब्जकोट गांव के रहने वाले हुसैन के रूप में की है। उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादा पूछताछ पर आतंकवादी ने भारतीय सेना की चौकी पर हमले की अपनी साजिश को कबूल किया। हुसैन ने खुलासा किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के कर्नल यूनुस चौधरी ने उसे भेजा था और 30,000 रुपए (पाकिस्तानी मुद्रा) दिए थे।'' हुसैन ने लंबे समय से आतंकवाद से जुड़े होने की बात कबूल की है और बताया कि पाकिस्तानी सेना के मेजर रज्जाक ने उसे प्रशिक्षण दिया है। उसने सेना के अस्पताल में मीडिया को बताया, ‘‘मुझे धोखा दिया गया (साथी आतंकवादियों द्वारा) और फिर भारतीय सेना ने मुझे पकड़ लिया।''

 

हुसैन ने बताया कि उसने छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया और पाकिस्तानी सेना द्वारा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के सदस्यों के लिए संचालित कई आतंकवादी शिविरों में भी गया। राजौरी में सेना के अस्पताल के कमांडेंट ब्रिगेडियर राजीव नायर ने कहा कि हुसैन की हालत स्थिर है। उन्होंने बताया, ‘‘वह हमारे जवानों का खून बहाने आया था लेकिन उन्होंने उसकी जान बचाई, उसे खून दिया और अपने हाथों से उसे खाना खिलाया।'' अधिकारियों के मुताबिक गिरफ्तारी के समय वह चिल्ला रहा था, ‘‘मैं मरने के लिए आया था, मुझे धोखा दे दिया। भाईजान मुझे यहां से निकालो।''

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