Bangladesh: बांग्लादेश हिंसा में अब तक 39 की मौत, हालात हुए और बेकाबू... मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप

Edited By Updated: 19 Jul, 2024 11:23 AM

bangladesh 39 people have died so far in bangladesh violence

नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है। हिंसा से हालात और भी बेकाबू हो गए हैं। हालात इतने खराब हैं कि पुलिस के साथ झड़प में 39 प्रदर्शनकारियों की मौत...

Bangladesh: नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है। हिंसा से हालात और भी बेकाबू हो गए हैं। हालात इतने खराब हैं कि पुलिस के साथ झड़प में 39 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। 2500 से ज्यादा प्रदर्शनकारी जख्मी हैं। लाठी, डंडे और पत्थर लेकर सड़कों पर घूम रहे प्रदर्शनकारी बसों और निजी वाहनों को आग के हवाले कर रहे हैं।
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मौजूदा आरक्षण को खत्म करने और सिविल सेवा भर्ती नियमों में सुधार की मांग कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों पर पहले तो पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं। मगर बाद में दंगाइयों ने जवाबी कार्रवाई की और पुलिस पर काबू पा लिया। आक्रोशित भीड़ ने पीछे हट रहे अधिकारियों को राजधानी ढाका में बीटीवी के मुख्यालय तक खदेड़ा, फिर नेटवर्क के रिसेप्शन भवन और बाहर खड़े दर्जनों वाहनों में आग लगा दी। इससे राजधानी ढाका धूं-धूं कर जल उठी।
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मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद 
बेकाबू होते हालात को देखते हुए मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है।  बांग्लादेश में इस समय बस-ट्रेन और मेट्रो सेवा ठप हो गई है। हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया है। स्कूल, कॉलेज के साथ-साथ मदरसों को भी अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया गया है। पूरे देश में सेना को मोर्चे पर उतार दिया गया है।
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आक्रोशित छात्रों ने गुरुवार को देश के सरकारी प्रसारक में आग लगा दी। प्रधानमंत्री शेख हसीना नेटवर्क पर बढ़ती झड़पों को शांत करने की अपील कर रही थीं। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में सरकारी नेशनल टेलीविजन पर आकर देश को संबोधित किया था। उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की थी, लेकिन इसके बाद प्रदर्शनकारी और ज्यादा आक्रोशित हो गए। उन्होंने सरकारी टेलीविजन के दफ्तर पर अटैक कर उसे फूंक दिया। जिस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकारी टेलीविजन के दफ्तर में आग लगाई, उसमें कई पत्रकारों के साथ करीब 1200 कर्मचारी मौजूद थे। पुलिस-प्रशासन ने कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें किसी तरह बचाया। 

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...तो इस 30% कोटे के खिलाफ हो रहा आंदोलन
मौजूदा आरक्षण प्रणाली के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं. इनमें से 30 प्रतिशत 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, पांच प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत विकलांग लोगों के लिए आरक्षित हैं. आंदोलन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ चलाया जा रहा है. बता दें कि बांग्लादेश में हर साल करीब 3 हजार सरकारी नौकरियां ही निकलती हैं, जिनके लिए करीब 4 लाख कैंडिडेट अप्लाई करते हैं.

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बांग्लादेश कैसी है आरक्षण व्यवस्था?

  • स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण मिलता है।
  • बांग्लादेश में महिलाओं के लिए भी 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है।
  • इसके अलावा 10 फीसदी आरक्षण अलग-अलग जिलों के लिए तय है।
  • एथनिक माइनोरिटी जैसे संथाल, पांखो, त्रिपुरी, चकमा और खासी के लिए 6% कोटा है. हिंदुओं के लिए अलग आरक्षण नहीं है.
  • इन सभी आरक्षणों को जोड़कर 56% होता है. इसके अलावा बचा 44% मैरिट के लिए रखा गया है। 

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