Edited By Shubham Anand,Updated: 11 Dec, 2025 07:15 PM

बांग्लादेशी घुसपैठ भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती बन गई है। पश्चिम बंगाल से सबसे अधिक घुसपैठ संगठित गैंगों के जरिए होती है, जो लोगों को बॉर्डर पार कराकर फर्जी दस्तावेज़ बनवाते हैं और देश के अलग-अलग राज्यों में बसाते हैं। कई जगहों की डेमोग्राफी में...
नेशनल डेस्क : बांग्लादेश से भारत में अवैध घुसपैठ देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। पड़ोसी देश से आने वाले घुसपैठिए न केवल भारत के संसाधनों पर कब्ज़ा जमाते हैं, बल्कि आम नागरिकों के अधिकारों और रोज़गार के अवसरों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। कई राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के मामलों ने चिंता को और बढ़ा दिया है। वर्षों से भारत-बांग्लादेश सीमा पर यह अवैध गतिविधि जारी है और घुसपैठ का सबसे बड़ा रास्ता पश्चिम बंगाल माना जाता है। यहां सक्रिय बड़े गैंग बांग्लादेश से लोगों को भारत लाने, फर्जी दस्तावेज़ तैयार कराने और उन्हें देश के विभिन्न शहरों में बसाने तक की पूरी व्यवस्था संभालते हैं।
कई हिस्सों में बंटे घुसपैठ कराने वाले
घुसपैठ कराने वाले ये गैंग कई चरणों में विभाजित होते हैं। पहला नेटवर्क बांग्लादेश में ही लोगों को चिन्हित करता है और उन्हें सीमा पार कराता है। दूसरा नेटवर्क भारतीय सीमा के बाद उन्हें रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड तक पहुंचाता है। तीसरा नेटवर्क इन्हें कोलकाता या अन्य शहरों से ट्रेनों के माध्यम से यूपी, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों तक भेज देता है। चौथा हिस्सा झुग्गियों में रहने, खाने और छोटे-मोटे काम का इंतज़ाम करता है। बाद में फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य कागजात बनवाकर उन्हें आम नागरिक की तरह स्थापित कर दिया जाता है। इस पूरे अवैध खेल का रेट कार्ड भी तय है—पहाड़ी क्षेत्रों से घुसपैठ कराने के 7–8 हजार रुपये, पानी वाले रास्तों से 3–4 हजार रुपये, समतल जमीन से 12–15 हजार रुपये, जबकि फर्जी कागजात के लिए 2 हजार रुपये और नौकरी दिलाने के लिए 5–7 हजार रुपये वसूले जाते हैं।
ऐसे होती है घुसपैठ
बांग्लादेश सीमा की कुल लंबाई 4096.7 किलोमीटर है, जिसमें से 3232.7 किलोमीटर पर बाड़ लग चुकी है। लेकिन जहां नदी-नाले हैं या भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ, वहां से घुसपैठ का बड़ा खतरा बना रहता है। पश्चिम बंगाल में करीब 112 किलोमीटर इलाका ऐसा है जहां फेंसिंग संभव नहीं है, और यही हिस्सा अवैध प्रवेश का प्रमुख रूट है। असम, मेघालय और त्रिपुरा में भी अधिकांश हिस्सों पर फेंसिंग हो चुकी है, लेकिन प्राकृतिक बाधाओं वाले क्षेत्र घुसपैठ के लिए लगातार इस्तेमाल किए जाते हैं।
डेमोग्राफी में हुआ बड़ा बदलाव
अवैध घुसपैठ के चलते कई क्षेत्रों की जनसांख्यिकी में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिए अक्सर मालदा, मुर्शिदाबाद, 24 परगना और दिनेशपुर के रास्ते प्रवेश कर मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों में बस जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, मुर्शिदाबाद जिले में 1961 में हिंदू आबादी 44.1% थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 33.2% पर पहुंच गई। वहीं मुसलमानों की आबादी 55.9% से बढ़कर 66.3% हो गई। बंगाल के कई जिलों में इसी तरह के बदलाव दर्ज किए गए हैं, जो प्रशासनिक और सुरक्षा दृष्टि से गंभीर चिंता का कारण हैं। इसी कारण कई राज्यों में अब अवैध घुसपैठियों के खिलाफ बड़े स्तर पर अभियान चल रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में क्या कर रही सरकार
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। पुलिस टीमें टॉर्च लेकर रात में बस्तियों में जाकर दस्तक दे रही हैं और घर-घर दस्तावेज़ों की जांच की जा रही है। कई जिलों में घुसपैठियों में भगदड़ मच गई है। गोरखपुर के स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले 6–7 दिनों में कई झुग्गियां खाली हो गई हैं। वाराणसी में पुलिस ने 500 संदिग्ध व्यक्तियों की सूची तैयार की है। गोरखपुर में डिटेंशन सेंटर भी तैयार है, जहां बेड और कमरे नंबर के साथ चिन्हित किए गए हैं। अनुमान है कि यूपी में लगभग 10 लाख बांग्लादेशी घुसपैठिए मौजूद हो सकते हैं। माना जा रहा है कि SIR की प्रक्रिया पूरी होते ही योगी सरकार की टीमें प्रत्येक घर जाकर दस्तावेज़ों की जांच करेंगी और अवैध रूप से रह रहे लोगों को डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा।