भारत में स्वास्थ्य बीमा घोटाला: निवा बूपा ने एक परिवार को 61 लाख रुपये का बीमा दावा देने से किया इनकार

Edited By Updated: 01 Sep, 2025 07:00 PM

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2.40 करोड़ रुपये की स्वास्थ्य पॉलिसी वाले माइलॉयड ल्यूकेमिया मरीज चंद्र कुमार जैन को मुंबई के अस्पताल में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के लिए 61 लाख रुपये के कैशलेस क्लेम से इनकार कर दिया गया। निवेश सलाहकार अविज्ञान मित्रा ने इसे "व्यवस्थागत विश्वासघात"...

नेशनल डेस्कः स्वास्थ्य बीमा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, जब 2.40 करोड़ रुपये की पॉलिसी वाले एक माइलॉयड ल्यूकेमिया मरीज को मुंबई के एक अस्पताल में जीवन रक्षक अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (बीएमटी) के लिए 61 लाख रुपये के कैशलेस क्लेम से इनकार कर दिया गया। इस मामले को स्वास्थ्य बीमा और निवेश सलाहकार अविज्ञान मित्रा ने लिंक्डइन पर उजागर किया है, जिसमें उन्होंने बीमाकर्ता कंपनी की कार्रवाई को "व्यवस्थागत विश्वासघात" करार दिया है। निवा बूपा ने इस मामले में चार-भाग में जवाब देते हुए कहा है कि अंतिम स्वीकृति मरीज के डिस्चार्ज के समय दी जाएगी और वे मरीज व परिवार की सहायता के लिए प्रतिबद्ध हैं।

लिंक्डइन पर एक वायरल पोस्ट ने स्वास्थ्य बीमा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसमें बताया गया है कि 2.40 करोड़ रुपये की पॉलिसी वाले एक मरीज को जीवन रक्षक उपचार के लिए 61 लाख रुपये के कैशलेस क्लेम से कथित तौर पर इनकार कर दिया गया है।स्वास्थ्य बीमा और निवेश सलाहकार अविज्ञान मित्रा की लिंक्डइन पोस्ट के मुताबिक, मुंबई के सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में माइलॉयड ल्यूकेमिया से पीड़ित चंद्र कुमार जैन को तत्काल अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (बीएमटी) की जरूरत है। मरीज के पास निवा बूपा की स्वास्थ्य पॉलिसी है, जिसमें 1 करोड़ रुपये का बेस कवर और 1.4 करोड़ रुपये का नो-क्लेम बोनस शामिल है। इसके बावजूद बीमाकर्ता ने अचानक कैशलेस स्वीकृति देने से इनकार कर दिया और कहा कि "दायित्व स्थापित नहीं किया जा सकता।"

यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई जब कंपनी ने पहले ही 25 लाख रुपये के बीएमटी पैकेज के लिए लिखित पूर्व-अनुमोदन प्रदान किया था। अविज्ञान मित्रा ने इसे "व्यवस्थागत विश्वासघात" करार देते हुए कहा कि "एक ही मरीज, एक ही इलाज, एक ही प्रक्रिया, एक ही पॉलिसी होने के बावजूद परिवार को जीवन रक्षक चिकित्सा के लिए भारी मात्रा में नकदी जुटाने को मजबूर किया जा रहा है।" पोस्ट में यह भी कहा गया कि स्वास्थ्य बीमा को शब्दों के खेल और नियमों की बाधाओं तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। जब जान दांव पर हो, तब सम्मान, करुणा और निष्पक्षता सर्वोपरि होनी चाहिए। यह लड़ाई केवल श्री जैन की नहीं है, बल्कि भारत में हर उस परिवार के लिए है जिसे अपने सबसे मुश्किल समय में अपने बीमाकर्ता से मदद के लिए भीख नहीं माँगनी पड़े।

इस मामले पर एंजल निवेशक उदित गोयनका ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए कहा कि "बीमा भारत में सबसे बड़ा घोटाला व्यवसाय है।" बीमाकर्ता निवा बूपा ने इस मामले पर एक्स पर चार-भाग का विस्तृत बयान जारी किया। कंपनी के प्रतिनिधि आरव ने कहा कि वे श्री जैन के मामले से पूरी तरह अवगत हैं और प्रारंभिक पूर्व-अधिकृत 25 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि "प्रस्तुत लागतों में भिन्नता" के कारण मामला बढ़ गया है। बीमाकर्ता ने स्पष्ट किया कि मानक कैशलेस प्रक्रिया के अनुसार अंतिम स्वीकृति मरीज के डिस्चार्ज के समय दी जाती है, और चूंकि मरीज अभी डिस्चार्ज नहीं हुआ है, इसलिए वे निर्धारित समय सीमा के भीतर अंतिम अनुरोध पर कार्रवाई करेंगे।

 

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