Edited By Anu Malhotra,Updated: 18 Aug, 2025 01:55 PM

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अक्सर अपनी कड़ी सुरक्षा और रहस्यमयी कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहते हैं, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है, उसने दुनिया भर को हैरानी में डाल दिया है। अमेरिका के अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई मुलाकात के...
इंटरनेशनल डेस्क: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अक्सर अपनी कड़ी सुरक्षा और रहस्यमयी कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहते हैं, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है, उसने दुनिया भर को हैरानी में डाल दिया है। अमेरिका के अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई मुलाकात के दौरान पुतिन की सुरक्षा टीम ने एक ऐसा काम किया जो सुनने में अजीब तो ज़रूर है, लेकिन इसे रूस की 'राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति' का हिस्सा माना जा रहा है।
दरअसल, विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पुतिन के अंगरक्षक उनके मल (स्टूल) को एक विशेष सूटकेस में इकट्ठा कर रूस वापस लेकर गए। ये सब इसलिए किया गया ताकि कोई भी विदेशी एजेंसी उनके स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी जानकारी हासिल न कर सके।
क्यों उठाया गया ऐसा असामान्य कदम?
इस पूरी प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य यह है कि विदेशी खुफिया एजेंसियां राष्ट्रपति के जैविक नमूनों का विश्लेषण न कर सकें। पुतिन की सेहत को लेकर पहले भी अटकलें लगती रही हैं - चाहे वो उनकी चाल हो, हिलते हुए पैर हों, या फिर अचानक कैमरे से दूरी बनाए रखना। ऐसे में अगर किसी को उनके मल या यूरिन के नमूने मिल जाएं, तो इससे उनकी शारीरिक स्थिति और बीमारियों के बारे में संवेदनशील जानकारी बाहर आ सकती है।
कैसे किया जाता है ये सब?
पुतिन की विदेश यात्रा के दौरान उनके अंगरक्षकों में शामिल एक विशेष टीम उनके उपयोग किए गए टॉयलेट पेपर्स और मल को एक विशेष थैले में सील करती है। फिर इसे एक मजबूत, लॉक किया गया सूटकेस या ब्रीफकेस में बंद कर रूस ले जाया जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह प्रथा करीब दो दशकों से अपनाई जा रही है। यहां तक कि जब वे वियना, फ्रांस या सऊदी अरब गए थे, तब भी ऐसा ही किया गया था।
क्या यह सिर्फ अफवाह है?
यह खबर कोई अफवाह नहीं है, बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों और मीडिया संस्थानों ने इसकी पुष्टि की है। फ्रांसीसी पत्रकार रेजिस गेंटे और रूसी खोजी पत्रकार मिखाइल रुबिन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पुतिन के अंगरक्षक इस काम के लिए विशेष प्रशिक्षण लेते हैं। रूसी खुफिया एजेंसी FSO (फेडरल प्रोटेक्टिव सर्विस) इसकी जिम्मेदारी संभालती है।
क्या वाकई सेहत पर इतनी सख्त गोपनीयता जरूरी है?
दुनिया के कई शीर्ष नेताओं की सेहत को लेकर जानकारी बेहद संवेदनशील मानी जाती है। लेकिन पुतिन के मामले में इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला’ माना जाता है। उनके आलोचक यह भी कहते हैं कि इस हद तक गोपनीयता बनाए रखना यह दर्शाता है कि कुछ गंभीर छिपाया जा रहा है। कई विशेषज्ञों ने संदेह जताया है कि उन्हें पार्किंसंस जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी हो सकती है।