Edited By Shubham Anand,Updated: 18 Nov, 2025 02:24 PM

लाल किला विस्फोट मामले में एनआईए ने सक्रिय सह-साजिशकर्ता जसिर बिलाल वानी को श्रीनगर से गिरफ्तार कर पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। इससे पहले आरोपी आमिर रशीद अली को 10 दिन की रिमांड पर भेजा गया था। विस्फोट में इस्तेमाल कार आमिर के नाम पर पंजीकृत थी।...
नेशनल डेस्क : दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण कार बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को एक और आरोपी जसिर बिलाल वानी उर्फ दानिश को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आरोपी को कोर्ट लाया गया। यह गिरफ्तारी एनआईए की जांच में बड़ी सफलता मानी जा रही है।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से गिरफ्तार जसिर बिलाल वानी को आतंकी साजिश में सक्रिय सह-साजिशकर्ता बताया जा रहा है। एनआईए के अनुसार, वानी ने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी को तकनीकी सहायता प्रदान की थी। वह ड्रोन में बदलाव करने और रॉकेट बनाने की कोशिश में शामिल था, ताकि भविष्य में और बड़े हमले किए जा सकें। यह गिरफ्तारी पहले गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और तकनीकी सबूतों के आधार पर हुई है। एनआईए की टीमें पिछले कई दिनों से कश्मीर घाटी में छापेमारी और पूछताछ कर रही थीं।
मुख्य आरोपी को पहले ही मिली 10 दिन की रिमांड
इससे एक दिन पहले सोमवार को एनआईए ने मुख्य आरोपी आमिर रशीद अली को भी पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया था, जहां अदालत ने उसे 10 दिन की एनआईए रिमांड पर भेज दिया। दक्षिण कश्मीर के पंपोर निवासी आमिर रशीद अली पर आरोप है कि विस्फोट में इस्तेमाल हुंडई i20 कार उसके नाम पर रजिस्टर्ड थी। उसने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी को दिल्ली में सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराया और लॉजिस्टिक सहायता दी। हमले से ठीक पहले आमिर ही वह आखिरी व्यक्ति था, जिससे उमर के संपर्क में था। कार खरीदने के लिए आमिर विशेष रूप से दिल्ली आया था और बाद में वही वाहन व्हीकल बोर्न आईईडी (वीबीआईईडी) के रूप में इस्तेमाल हुआ।
एनआईए की रिमांड अर्जी में कहा गया कि आरोपी की हिरासत में पूछताछ से पूरी साजिश का पर्दाफाफ होगा। एजेंसी ने अदालत को बताया कि विस्फोट जानबूझकर इस तरह डिजाइन किया गया था कि जनता में दहशत फैले और देश की एकता-अखंडता को खतरा पैदा हो। जांच के लिए आमिर को कश्मीर ले जाने की भी अनुमति मांगी गई है।
कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा
दोनों आरोपियों की पेशी के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में दिल्ली पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की भारी तैनाती रही। दंगा नियंत्रण उपकरणों से लैस जवान तैनात थे। मीडिया को कोर्ट रूम में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, जिससे कार्यवाही पूरी तरह इन-कैमरा रही।
गौरतलब है कि 10 नवंबर को लाल किले के बाहर हुए इस कार बम विस्फोट में अब तक 13 से 15 लोगों की मौत हो चुकी है और 30 से अधिक घायल हुए हैं। एनआईए ने मामले की जांच अपने हाथ में लेते हुए कई राज्यों में छापेमारी की है और आतंकी मॉड्यूल के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। एजेंसी का दावा है कि यह साजिश देश में आतंक और घबराहट फैलाने के इरादे से रची गई थी।