यूज हुई कार आपके लिए बन सकती है मुसीबत, खरीदने से पहले करें ये जरूरी जांच

Edited By Updated: 13 Nov, 2025 03:42 PM

delhi blast used car ownership transfer guide

दिल्ली ब्लास्ट मामले में इस्तेमाल कारों के पुराने मालिकों के नाम पर होने से जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। इससे पुरानी कार खरीद-बिक्री में डॉक्युमेंट्स की जांच को लेकर सतर्कता की जरूरत सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि आरसी, इंश्योरेंस, पीयूसीसी...

नेशनल डेस्क : हाल ही में हुए दिल्ली ब्लास्ट ने आम लोगों को झकझोर कर रख दिया है। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि धमाके में इस्तेमाल की गई कारें पुरानी या सेकंड हैंड थीं, जिनका मालिकाना हक (ओनरशिप ट्रांसफर) सही तरीके से नहीं किया गया था। इस खुलासे के बाद एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या लोग पुरानी कार खरीदते या बेचते समय जरूरी कागज़ात की ठीक से जांच करते हैं?

डॉक्युमेंट जांच बेहद जरूरी
भारत में हर महीने लाखों यूज्ड कारें खरीदी-बेची जाती हैं, लेकिन अक्सर लोग डॉक्युमेंट चेक को केवल औपचारिकता मानते हैं। कई बार पुरानी गाड़ियां गलत हाथों में चली जाती हैं और असली मालिक बिना किसी गलती के कानूनी परेशानी में फंस जाता है। दिल्ली ब्लास्ट में भी ऐसा ही हुआ—कार का नाम पुराने मालिक के नाम पर था, जिससे जांच एजेंसियों ने पहले उसी को संदिग्ध माना।

इसलिए अगर आप पुरानी कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाइए! कार की आरसी (RC), इंश्योरेंस, पीयूसीसी (PUCC), एनओसी (NOC) और ओनरशिप ट्रांसफर की स्थिति जरूर जांच लें। आपकी एक छोटी सी लापरवाही भविष्य में बड़ी कानूनी मुश्किल खड़ी कर सकती है।

ट्रांसफर न कराने पर लग सकता है जुर्माना
यूज्ड कार की खरीद-बिक्री आज आम बात है, लेकिन इस प्रक्रिया का सबसे अहम हिस्सा है – मालिकाना हक का ट्रांसफर। कई लोग डॉक्युमेंटेशन कर लेते हैं, पर ओनरशिप ट्रांसफर को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यह गलती भविष्य में जुर्माने या कानूनी कार्रवाई की वजह बन सकती है। पुरानी कार बेचने या खरीदने के बाद सेलर और बायर दोनों को मिलकर ओनरशिप ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इसके लिए आरटीओ द्वारा तय कुछ फॉर्म और दस्तावेज़ भरकर जमा करना जरूरी होता है।

ओनरशिप ट्रांसफर के लिए फॉर्म 29 और फॉर्म 30 भरना होता है। अगर गाड़ी किसी दूसरे राज्य में ट्रांसफर की जा रही है, तो फॉर्म 28 (NOC) की आवश्यकता होती है, जो पुराने आरटीओ से जारी होता है। वहीं अगर कार पर लोन था, तो बैंक से फॉर्म 35 और एनओसी लेना जरूरी है ताकि यह साबित हो सके कि लोन पूरी तरह चुका दिया गया है।

सभी जरूरी दस्तावेज तैयार करें
सेलर को वाहन का ओरिजिनल आरसी, वैध इंश्योरेंस और पीयूसीसी जमा करना होता है, जबकि बायर को अपनी पहचान और पते का प्रमाण जैसे आधार कार्ड या वोटर आईडी देना होता है। दोनों पक्षों को पासपोर्ट साइज फोटो और सभी दस्तावेज फॉर्म्स के साथ आरटीओ में जमा करने होते हैं।
कुछ राज्यों में पैन कार्ड, फॉर्म 60/61 और ट्रैफिक पुलिस से क्लियरेंस रिपोर्ट भी मांगी जाती है।

आरटीओ में दस्तावेज़ जमा करना और फीस भुगतान
सभी फॉर्म और दस्तावेज खरीदार के नए आरटीओ ऑफिस में जमा करने होते हैं। यह प्रक्रिया ऑनलाइन Parivahan.gov.in वेबसाइट से शुरू की जा सकती है, लेकिन साइन की हुई हार्ड कॉपी आरटीओ में ऑफलाइन जमा करना अनिवार्य है। नए मालिक को ट्रांसफर फीस, लंबित टैक्स और पुराने चालान का भुगतान करना होता है। ऐसा न करने पर आरटीओ ओनरशिप ट्रांसफर को रोक सकता है।दस्तावेज़ों के वेरिफिकेशन के बाद, आरटीओ नए मालिक के नाम पर नया रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) जारी करता है। यह पूरी प्रक्रिया आमतौर पर कुछ हफ्तों में पूरी हो जाती है।

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