BJP President:  BJP अध्यक्ष की रेस में दो बड़े नामों को झटका, संघ ने खारिज की मोदी-शाह की पसंद!

Edited By Updated: 07 Aug, 2025 01:09 PM

delhi rss ideology of bjp dharmendra pradhan bhupendra yadav

भारतीय जनता पार्टी में इस वक्त एक ऐसा सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है, जो संगठन की जड़ों तक असर डाल सकता है। पार्टी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर दिल्ली के गलियारों में चर्चाएं तेज हैं, लेकिन सबसे बड़ी बाधा वही है, जो कभी बीजेपी की विचारधारा की...

नेशनल डेस्क: भारतीय जनता पार्टी में इस वक्त एक ऐसा सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है, जो संगठन की जड़ों तक असर डाल सकता है। पार्टी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर दिल्ली के गलियारों में चर्चाएं तेज हैं, लेकिन सबसे बड़ी बाधा वही है, जो कभी बीजेपी की विचारधारा की आधारशिला मानी जाती थी - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)।

 कुर्सी पर दावेदारी, लेकिन मुहर नहीं
जेपी नड्डा के कार्यकाल के बाद नया अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की पसंद को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम पर विचार हुआ है, लेकिन संघ ने अभी तक किसी को हरी झंडी नहीं दी है।

  संघ का रुख: संगठन में  'मोदी-शाह मॉडल' से आज़ादी
सूत्रों के अनुसार, आरएसएस चाहता है कि पार्टी को "व्यक्तिवादी नियंत्रण" से बाहर निकाला जाए। संघ की मंशा है कि भविष्य में खासकर 2029 के चुनाव के लिए एक स्वतंत्र सोच वाला संगठनात्मक नेता सामने लाया जाए, जो केवल शीर्ष नेतृत्व की छाया न हो।

 संघ प्रमुख का बयान, एक इशारा या चुनौती?
संघ प्रमुख मोहन भागवत का हालिया बयान - कि 'एक उम्र के बाद नेताओं को पद छोड़ देना चाहिए'- को राजनीतिक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही 75 वर्ष के हो जाएंगे, जो भाजपा की अनौपचारिक सेवानिवृत्ति उम्र मानी जाती है।

 उत्तर प्रदेश में भी खींचतान, शाह-योगी आमने-सामने?
भाजपा के लिए सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश में भी संगठनात्मक स्तर पर उथल-पुथल है। नया प्रदेश अध्यक्ष अब तक नहीं चुना गया है। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच पसंद को लेकर मतभेद हैं। शाह ऐसा नेता चाहते हैं जो योगी से स्वतंत्र हो, जबकि योगी अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहते।

 2024 में यूपी से झटका, संघ की चिंता गहराई
बीजेपी को हाल के लोकसभा चुनाव में यूपी से करारा झटका लगा — केवल 33 सीटें हासिल हुईं, जबकि 80 में से बहुमत की उम्मीद थी। यही वजह है कि पार्टी लोकसभा में स्पष्ट बहुमत से दूर रह गई। यह हार संघ को भी सोचने पर मजबूर कर रही है कि अब नेतृत्व और रणनीति में बदलाव जरूरी हो गया है।

 नया अध्यक्ष या नया अध्याय?
भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष महज़ एक पद नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों की राजनीतिक दिशा तय करने वाला चेहरा होगा। 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, संघ किसी भी तरह की जल्दबाज़ी से बचना चाहता है। यही वजह है कि अब तक तीन दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सहमति नहीं बन सकी।
 

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