राष्ट्रगान में बदलाव की उठी मांग, 'सिंध' शब्द हटाने का संसद में रखा प्रस्ताव

Edited By Updated: 17 Mar, 2018 03:58 AM

demand for change in national anthem

जिस ''जन-गण-मन'' को गाकर हम देशभक्ति के भावों से ओत-प्रोत होते रहे हों आज उसमें बदलाव की मांग उठाई जा रही हैैै। कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने शुक्रवार को राज्यसभा में राष्ट्र गान को लेकर एक संशोधन की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया है। उनके अनुसार...

नेशनल डेस्क: जिस 'जन-गण-मन' को गाकर हम देशभक्ति के भावों से ओत-प्रोत होते रहे हों आज उसमें बदलाव की मांग उठाई जा रही हैैै। कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने शुक्रवार को राज्यसभा में राष्ट्र गान को लेकर एक संशोधन की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया है। उनके अनुसार राष्ट्रगान से सिंध शब्द को हटाकर इसमें 'उत्तर पूर्व' शब्द जोड़ा जाना चाहिए। 

राष्ट्रगान में नॉर्थ ईस्ट शब्द का हो प्रयोग 
कांग्रेस सांसद ने कहा कि सिंध आज भी राष्ट्रीय गान का हिस्सा है लेकिन अब देश का हिस्सा नहीं है। अब वह पाकिस्तान के दायरे में आता है और वह मुल्क हमेशा से भारत से दुश्मनी निभाते आया है। इसलिए इस शब्द को हटाकर नॉर्थ ईस्ट शब्द को लगाना चाहिए। बोरा ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इसलिए उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की तरह अब राष्ट्रगान में भी संशोधन किया जाना चाहिए। 

राष्ट्रगान में संशोधन की आवश्यकता 
अपने प्रस्ताव में बोरा ने लिखा कि देश के पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी, 1950 में कुछ शब्द और एक म्यूजिक सदन में पेश किया था, जिसे राष्ट्रगान कहा गया लेकिन वक्त के साथ हालात और नक्शा दोनों बदल गए हैं इसलिए अब राष्ट्रगान में संशोधन करने की आवश्यकता है। बिल में कहा गया कि हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान के भूभाग (सिंध) के नाम को राष्ट्रगान से हटा देना चाहिए। इसके लिए बोरा ने अन्य दलों के सांसदों से भी बात की है और उनसे समर्थन करने की अपील भी की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले शुक्रवार को जब यह बिल सदन में आएगा तो इसपर चर्चा के जरिए कोई समाधान जरूर निकल सकता है।

शिवसेना भी उठा चुकी है मांग 
बता दें कि शिवसेना ने भी वर्ष 2016 में इसी तरह की मांग उठाई थी। सांसद अरविंद सावंत ने 'सिंध' शब्द को राष्ट्रगान से हटाने की मांग करते हुए कहा था कि अब प्रांत पाकिस्तान का हिस्सा है इसलिए इसे हटा देना चाहिए। गौरतलब है कि रवीद्रनाथ टैगोर ने भारत के राष्ट्रगान को 11 दिसंबर] 1911 में लिखा था। इसे पहली बार कांग्रेस के 27वें वार्षिक अधिवेशन में कलकत्ता में गाया था। टैगोर ने मूल गीत की रचना बांग्ला भाषा में की थी। मूल गीत में पांच पैरा हैं जिनमें से पहले पैरा को ही भारत के राष्ट्रगान के तौर पर अपनाया गया है। 

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