Edited By Mansa Devi,Updated: 06 Sep, 2025 01:11 PM

यह आदत हम सभी में होती है। मोबाइल चार्ज करने के बाद फोन तो हटा लेते हैं, लेकिन चार्जर को सॉकेट में लगा ही छोड़ देते हैं। हमें लगता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन ऊर्जा विशेषज्ञ इस आदत को लेकर लगातार चेतावनी देते हैं। उनका कहना है कि यह छोटी...
नेशनल डेस्क: यह आदत हम सभी में होती है। मोबाइल चार्ज करने के बाद फोन तो हटा लेते हैं, लेकिन चार्जर को सॉकेट में लगा ही छोड़ देते हैं। हमें लगता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन ऊर्जा विशेषज्ञ इस आदत को लेकर लगातार चेतावनी देते हैं। उनका कहना है कि यह छोटी सी लापरवाही हर महीने आपके बिजली बिल को धीरे-धीरे बढ़ा सकती है।
इस तरह की बर्बादी को 'वैंपायर एनर्जी' या 'फैंटम लोड' भी कहते हैं।
'वैंपायर एनर्जी' क्या है?
भले ही आपका चार्जर किसी डिवाइस से कनेक्ट न हो, लेकिन सॉकेट में लगे होने पर यह लगातार थोड़ी-थोड़ी बिजली खींचता रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चार्जर के अंदर का ट्रांसफॉर्मर और सर्किट हमेशा काम करने के लिए तैयार रहते हैं। इसी खामोशी से हो रही बिजली की बर्बादी को 'वैंपायर पावर' कहा जाता है।
एक चार्जर अकेले ही 0.1 से 0.5 वॉट बिजली की खपत कर सकता है। लेकिन जब आपके घर में टीवी, कंप्यूटर और कई अन्य गैजेट्स एक साथ प्लग में लगे रहते हैं, तो यह वैंपायर एनर्जी मिलकर आपके बिजली बिल में अच्छा-खासा इजाफा कर सकती है।
फायदे कम, नुकसान ज्यादा
चार्जर को सॉकेट में लगा छोड़ने का एकमात्र फायदा यही है कि आपको उसे बार-बार प्लग-इन करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। लेकिन इसके नुकसान इस मामूली सुविधा से कहीं ज्यादा हैं:
बढ़ा हुआ बिजली बिल: अगर आप सभी डिवाइसेस को अनप्लग करना शुरू कर दें तो साल के अंत तक आप एक बड़ी राशि बचा सकते हैं।
सुरक्षा जोखिम: चार्जर के लगातार प्लग-इन रहने पर वह ओवरहीट हो सकता है, जिससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
डिवाइस की लाइफ: बिजली के लगातार संपर्क में रहने और वोल्टेज के उतार-चढ़ाव से चार्जर और गैजेट्स जल्दी खराब हो सकते हैं।