Edited By Anu Malhotra,Updated: 06 Dec, 2025 11:09 AM
भारत का एयरलाइन उद्योग हमेशा चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा रहा है। हर कुछ साल में नई एयरलाइन की शुरुआत होती है, लेकिन कई सालों में उनमें से अधिकांश बाजार से गायब हो जाती हैं। पिछले दो दशकों में कई दिग्गज एयरलाइंस जैसे जेट एयरवेज, किंगफिशर और एयर सहारा ने...
नेशनल डेस्क: भारत का एयरलाइन उद्योग हमेशा चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा रहा है। हर कुछ साल में नई एयरलाइन की शुरुआत होती है, लेकिन कई सालों में उनमें से अधिकांश बाजार से गायब हो जाती हैं। पिछले दो दशकों में कई दिग्गज एयरलाइंस जैसे जेट एयरवेज, किंगफिशर और एयर सहारा ने उड़ान भरी, लेकिन अंततः घाटे और mismanagement की वजह से बंद हो गए। लेकिन इस चुनौतीपूर्ण वातावरण में एक एयरलाइन ने सबको पीछे छोड़ दिया – IndiGo। वित्तीय वर्ष 2024 में अकेले IndiGo ने लगभग 8,170 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया, जबकि बाकी सभी एयरलाइंस घाटे में डूबी हुई थीं। आज IndiGo के पास अकेले 400 से अधिक विमान हैं, जबकि विस्तारा और एयर इंडिया मिलाकर 300 विमान भी नहीं रखते।
दो दोस्तों की मेहनत और हिम्मत
साल 2005 में दो दोस्त – राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल – ने IndiGo की नींव रखी। राहुल भाटिया पहले से ही ट्रैवल बिजनेस में थे, जबकि राकेश गंगवाल अमेरिकी एयरलाइन उद्योग में अनुभवी थे। उन्होंने अपनी एयरलाइन का नाम रखा IndiGo – India on the Go।
उस समय भारत का एविएशन मार्केट जेट एयरवेज, एयर इंडिया और किंगफिशर जैसे बड़े खिलाड़ियों से भरा हुआ था। पहले से ही कई एयरलाइंस घाटे में चल रही थीं और नए प्लेयर्स के लिए बाजार में टिकना लगभग असंभव था। लेकिन इस कठिन परिस्थिति ने IndiGo को पीछे हटने नहीं दिया।
बड़ा और साहसिक पहला कदम
IndiGo की सफलता का आधार उसके शुरुआती कदम में ही छिपा था। अपनी एयरलाइन शुरू करने से पहले ही, उन्होंने 100 नए एयरबस प्लेन का ऑर्डर दे दिया। यह कदम उस समय की इंडियन एयरलाइन इंडस्ट्री के लिए चौंकाने वाला था।
राकेश गंगवाल ने एयरबस से भारी डिस्काउंट और विशेष शर्तें तय कीं – अगर किसी विमान में तकनीकी समस्या आती है, तो उसकी जिम्मेदारी एयरबस की होगी। इसके अलावा, इंडिगो ने ऑर्डर किए गए 100 प्लेनों को एक साथ लेने के बजाय 45 दिनों के अंतराल में वितरित करने की शर्त रखी। इससे उनका निवेश धीरे-धीरे बढ़ा और एयरबस के लिए भी यह एक विन-विन डील साबित हुई।
स्मार्ट वित्तीय रणनीति
IndiGo ने सेल और लीज बैक मॉडल अपनाया। उन्होंने भारी डिस्काउंट पर खरीदे गए प्लेन को लीजिंग कंपनी को बेचकर फिर उसी विमान को किराए पर लिया। इस रणनीति से तीन बड़े फायदे हुए:
-नए प्लेन पर तुरंत लाभ हुआ, जिससे कैश फ्लो मजबूत रहा।
-बड़े कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी।
-आधुनिक एयरबस A320 का इस्तेमाल होने से मेंटेनेंस और फ्यूल की लागत कम रही।
IndiGo ने Fuel Efficiency का फायदा उठाया। एयरबस A320 के कारण हर फ्लाइट में 8-10% फ्यूल की बचत हुई। छोटे अंतराल में सैकड़ों फ्लाइट्स के संचालन में यह बचत करोड़ों रुपये में परिवर्तित हो गई।
मिडिल क्लास पैसेंजर्स का लक्ष्य
IndiGo ने भारतीय यात्रियों की जरूरत को समझा – लोग समय और सुविधा के बजाय सस्ते किराए को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने गैर-जरूरी खर्च काटे, जैसे फ्लाइट में मुफ्त भोजन या मनोरंजन स्क्रीन, ताकि टिकट की कीमतें कम रखी जा सकें। परिणामस्वरूप, एयरलाइन अधिक यात्रियों को आकर्षित करने में सफल रही।
हब और स्पोक मॉडल: सफलता का गुप्त हथियार
IndiGo ने हब और स्पोक मॉडल अपनाया। दिल्ली जैसे हब एयरपोर्ट पर यात्रियों को इकट्ठा किया गया और फिर कनेक्टिंग फ्लाइट से दूसरे शहरों तक पहुंचाया गया। यह तरीका अन्य एयरलाइंस के पॉइंट टू पॉइंट मॉडल की तुलना में बेहद किफायती और प्रभावी साबित हुआ। कम फ्लाइट्स में अधिक यात्री, कम फ्यूल खर्च और बेहतर मेंटेनेंस – यही इंडिगो की सफलता का रहस्य था।
समय पर उड़ान – ब्रांड का पहचान
'On Time is a Wonderful Thing' का स्लोगन IndiGo की सबसे बड़ी पहचान बन गया। एयरलाइन की ज्यादातर उड़ानें समय पर होती थीं, जिससे ग्राहकों का भरोसा और जुड़ाव बढ़ा।
चुनौतियों के बावजूद मजबूती
2008 की ग्लोबल आर्थिक मंदी और तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद IndiGo ने 82 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया। किंगफिशर, जेट एयरवेज और अन्य एयरलाइंस इस संकट में डूब गईं।
2013 तक IndiGo भारत की नंबर वन डोमेस्टिक एयरलाइन बन चुकी थी। बाद में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत की गई। नए खिलाड़ी जैसे एयर एशिया और विस्तारा आए, लेकिन IndiGo का स्केल और सटीक बिजनेस मॉडल उन्हें पीछे छोड़ गया।
अंदरूनी विवाद और कोविड का सामना
साल 2019 में सह-संस्थापक राकेश गंगवाल और राहुल भाटिया के बीच मतभेद बढ़े। बावजूद इसके, कंपनी के ऑपरेशन पर कोई असर नहीं पड़ा। 2020 में कोविड-19 महामारी ने Airline Industry को हिला दिया, लेकिन IndiGo ने खर्च में कटौती, कर्मचारियों की सैलरी में कटौती और प्लेन का कार्गो में इस्तेमाल करके बचाव किया। 2023 में IndiGo ने 500 New plane का रिकॉर्ड ऑर्डर देकर अपने विस्तार की दिशा तय की। आज 400 से अधिक विमान सक्रिय हैं और आने वाले वर्षों में नई उड़ानों के साथ इस संख्या बढ़ेगी।