राहुल गांधी ने 'खेती का खून' किताब की लॉन्च, बोले- तीनों कृषि कानून किसानों को कर देंगे बर्बाद

Edited By vasudha,Updated: 19 Jan, 2021 02:31 PM

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ नई मुहिम छेड़ने जा रहे हैं। इसी कड़ी में वह आज  पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं। इस दौरान  केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों पर एक बुकलेट भी...

नेशनल डेस्क:  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि कृषि क्षेत्र पर तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार हो जाएगा जिसकी कीमत मध्यम वर्ग और युवाओं को चुकानी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान थकने वाले नहीं हैं क्योंकि ‘‘वे प्रधानमंत्री से ज्यादा समझदार हैं’’।

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देश में एक त्रासदी पैदा हो रही हे: राहुल गांधी 
राहुल गांधी ने ‘किसानों की पीड़ा’ पर ‘खेती का खून’ शीर्षक से एक पुस्तिका जारी की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि देश में एक त्रासदी पैदा हो रही है। सरकार इस त्रासदी को नजरअंदाज करना चाहती है और लोगों को गुमराह करना चाहती है। किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है। उन्होंने दावा किया कि हवाई अड्डों, बुनियादी ढांचे, दूरसंचार, रिटेल और दूसरे क्षेत्र में हम देख रहे हैं कि बड़े पैमाने पर एकाधिकार स्थापित हो गया है। तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार है। ये तीन-चार लोग ही प्रधानमंत्री के करीबी हैं और उनकी मदद करते हैं।’’

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युवाओं से छीनी जा रहीआजादी : राहुल गांधी
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि कृषि क्षेत्र अब तक एकाधिकार से अछूता था, लेकिन अब इसे भी निशाना बनाया जा रहा है। ये तीनों कानूनों इसीलिए लाए गए हैं। नतीजा यह होगा कि तीन-चार लोग पूरे देश के मालिक बन जाएंगे। किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत नहीं मिलेगी। बाद में मध्यम वर्ग को इसकी वो कीमत अदा करनी होगी, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि ये कानून सिर्फ किसानों पर हमला नहीं हैं, बल्कि मध्यम वर्ग और युवाओं पर हमला है। युवाओं से कहना चाहता हूं कि आपकी आजादी छीनी जा रही है।

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किसान प्रधानमंत्री से ज्यादा होशियार हैं: राहुल गांधी
कांग्रेस नेता के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा के किसान इस देश के रक्षक हैं। वे कृषि क्षेत्र को कुछ लोगों के हाथ में जाने से रोकने के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को लगता है कि किसानों को थकाया जा सकता है और उनको बेवकूफ बनाया जा सकता है। किसान प्रधानमंत्री से ज्यादा होशियार हैं। समाधान एक ही होगा कि तीनों कानूनों को वापस लेना होगा। 55 दिनों से चल रहे प्रदर्शन के बाद भी आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच एक राय बनती नहीं दिख रही है। आंदोलन कर रहे किसानों ने स्पष्ट ऐलान किया है कि वो संशोधन नहीं चाहते और कृषि कानूनों की वापसी के बगैर चर्चा संभव नहीं है.।इसके साथ ही किसानों की मांग है कि सरकार एमएसपी पर कानून बनाए। वहीं दूसरी ओर सरकार ये बताने की कोशिश में है कि नए कानून किसानों के हित में है और ज्यादातर किसान इसे समझते भी हैं। 
 

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