आजादी के 20 सालों बाद नोटों पर कैसे आई गांधीजी की तस्वीर?, दिलचस्प है बापू की ये कहानी

Edited By Yaspal,Updated: 02 Oct, 2024 12:26 AM

gandhiji s picture appear on currency notes 20 years after independence

आज देश महात्मा गांधी की 155वीं जन्म जयंती मना रहा है। महात्मा गांधी के बारे में वैसे तो कई किस्से मशहूर हैं। देश की आजादी में उनका योगदान बहुत अहम था। महात्मा गांधी ने देश को आजाद कराने के लिए कई आंदोलन किए थे

नई दिल्लीः आज देश महात्मा गांधी की 155वीं जन्म जयंती मना रहा है। महात्मा गांधी के बारे में वैसे तो कई किस्से मशहूर हैं। देश की आजादी में उनका योगदान बहुत अहम था। महात्मा गांधी ने देश को आजाद कराने के लिए कई आंदोलन किए थे। महात्मा गांधी को लोग ‘बापू’ के नाम से भी बुलाते हैं। महात्मा गांधी की एक तस्वीर जो हमारे दिलो-दिमाग पर हमेशा छाई रहती है वह है उनकी नोट पर छपी तस्वीर। जिसमें कि बापू मुस्कुरा रहे हैं। याद भी क्यों न रहे आखिर नोट हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है। आजादी के बाद महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय नोटों पर कैसे और कब आई? इसके बारे में बड़ी दिलचस्प कहानी है। आईए हम आपको बताते हैं कि पूरा किस्सा क्या है?
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आजादी के काफी समय बाद महात्मा गांधी का चित्र भारतीय नोटों यानी कागज पर मुद्रित भारतीय करेंसी पर आया। ये काम आजादी के 22 साल बाद जाकर हो पाया। वो भी केवल एक रुपये के नोट पर। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)  के मुताबिक भारत सरकार ने पहली बार 1949 में एक रुपये के नोट का नया डिजाइन तैयार किया। अब आजाद भारत के लिए एक चिह्न को चुना जाना था।

55 सालों से है गांधी जी और नोट का नाता
आपको बता दें कि महात्मा गांधी और भारतीय करेंसी नोट का संबंध 55 सालों से भी पुराना है। सबसे पहले गाँधी जी की स्मृति में 100 रुपए के नोट पर उनकी तस्वीर छापी गई थी। फिर क्या था हर नोट पर बापू नजर आने लगे। गाँधी जी का जन्म साल 1869 को हुआ था। 1969 में जब उनकी जन्मशती मनाई गई तो 100 रुपए के नोट पर गांधी जी नजर आए।
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शुरुआत में छपी थी अशोक की लाट
शुरुआत में तो यही माना जा रहा था कि ब्रिटेन के राजा की जगह नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर लगेगी और इसके लिए डिजाइन भी तैयार कर लिए गए थे। लेकिन आखिर में सहमति इस बात पर बनी कि महात्मा गांधी की तस्वीर के बजाय करेंसी नोट पर अशोक स्तंभ या अशोक की लाट को छापा जाना चाहिए। तब इस बात पर सहमति नहीं बन पायी थी कि महात्मा गांधी के फोटो को भारतीय नोटों पर छापा जाना चाहिए।
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इसके अलावा करेंसी नोट के डिजाइन में बहुत अधिक बदलाव नहीं किए गए थे। साल 1950 में भारतीय गणराज्य में पहली बार दो, पांच, 10 और 100 रुपये के नोट जारी किए गए। उस पर महात्मा गांधी का चित्र नहीं था। पहली बार महात्मा गांधी का चित्र एक रुपये के नोट पर आया था, लेकिन उन पर नोटों की पूरी सीरीज आजादी के 49 साल बाद जारी हुई।

पहली बार कब नोट पर आए गांधी
महात्मा गांधी पहली बार 1969 में नोट पर नजर आए। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1969 में एक रुपये का नोट महात्मा गांधी की फोटो के साथ जारी किया। ये काम आरबीआई ने महात्मा गांधी की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर किया था। इसमें महात्मा गांधी को बैठे हुए दिखाया गया था और पृष्ठभूमि में सेवाग्राम आश्रम था।
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बंद हो गया गांधी के चित्र के साथ निकला 500 का नोट
18 साल बाद फिर आरबीआई ने एक और नोट पर महात्मा गांधी की फोटो प्रकाशित की। ये 1987 में आया 500 रुपये का नोट था। हालांकि इस नोट को 1996 में आरबीआई ने बंद कर दिया था। लेकिन 1996 में रिजर्व बैंक ने महात्मा गांधी के चित्र के साथ नोटों की नई सीरीज छापी। इसमें सभी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर अंकित थी। महात्मा गांधी सीरीज के ये नोट नए सुरक्षा फीचर्स के साथ छापे गए थे। इसके वॉटरमार्क भी बदल गए थे। इस नोट में ऐसे फीचर शामिल किए गए कि दृष्टिहीन लोग भी इसकी पहचान आसानी से कर लें।
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नोटों का संक्षिप्त इतिहास: 

  • साल 1949 में भारतीय सरकार ने एक नोट जारी किया था जिसमें कि अशोक स्तंभ की तस्वीर छपी थी।
  • 1953 में नोटों पर हिंदी भाषा को प्रमुखता से दिखाया गया
  • 1954  में 1,000,  5,000, 10,000 के नोट फिर से निकाले गए। हजार के नोट पर तंजौर के मंदिर को जगह मिली, 5000 के नोट पर गेटवे ऑफ इंडिया छपा और 10 हजार के नोट पर अशोक स्तंभ ने जगह पाई।
  • 1978 में बड़े मूल्य के नोटों को वापिस ले लिया गया। उस समय नोटबंदी हुई थी। 
  • 1980 आते आते बिल्कुल ही नए तरह के नोट नजर आए। 2 रुपए के नोट पर आर्यभट्ट नजर आए, 1 रुपए के नोट पर ऑइल रिग, 5 रुपए के नोट पर ट्रैक्टर, 20 के नोट पर कोणार्क पहिया और 10 के नोट पर मोर की तस्वीर छपी।
  • 1996 में नोटों के रूप में नई महात्मा गांधी सीरीज जारी की गई। अब जो नोट छपे तो उसमें व्हाटरमार्क था, सिक्योरिटी थ्रेड था, लेटेंट इमेज थी। यहां तक कि दिव्यांग जनों के अनुकूल नोट बनाए गए। जिससे कि वह उन्हें स्पर्श कर के पहचान सकें।

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