Edited By Rohini Oberoi,Updated: 25 Sep, 2025 02:56 PM

क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटे से कुत्ते का काटना कितना खतरनाक हो सकता है? अक्सर लोग इसे हल्के में लेते हैं लेकिन यही लापरवाही जानलेवा बन सकती है। हम बात कर रहे हैं रेबीज की एक ऐसी बीमारी जिसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं लेकिन घबराने की...
नेशनल डेस्क। क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटे से कुत्ते का काटना कितना खतरनाक हो सकता है? अक्सर लोग इसे हल्के में लेते हैं लेकिन यही लापरवाही जानलेवा बन सकती है। हम बात कर रहे हैं रेबीज की एक ऐसी बीमारी जिसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं सही जानकारी और समय पर इलाज से इसे आसानी से रोका जा सकता है।
क्या है रेबीज और यह कैसे फैलता है?
रेबीज एक जानलेवा संक्रामक बीमारी है जो लायसावायरस (Lyssavirus) नामक वायरस से होती है। यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार में होता है और उनके काटने से इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह सिर्फ कुत्ते ही नहीं बल्कि बिल्ली, बंदर, चमगादड़ और अन्य जंगली जानवरों से भी फैल सकता है। यह समझना ज़रूरी है कि रेबीज सिर्फ गहरे घाव से ही नहीं बल्कि एक छोटे से खरोंच या त्वचा पर मौजूद खुले घाव से भी फैल सकता है। यह आंखों, नाक या मुंह के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।

रेबीज के लक्षण पहचानें
रेबीज के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं। शुरुआती दिनों में आपको तेज़ बुखार, सिरदर्द और कमजोरी महसूस हो सकती है लेकिन जब यह वायरस दिमाग तक पहुंचता है तो स्थिति गंभीर हो जाती है।
इंसानों में: पानी से डर लगना (हाइड्रोफोबिया), हवा से डर लगना (एयरोफोबिया), गले की मांसपेशियों में लकवा और आखिरकार कोमा।

पालतू जानवरों में: अत्यधिक लार निकलना, सुस्ती, बीमार होना और कभी-कभी आक्रामक व्यवहार करना।
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इलाज का गोल्डन पीरियड: 72 घंटे
अगर किसी जानवर ने काट लिया है तो सबसे पहले घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। इसके बाद तुरंत एंटी-रेबीज का टीका लगवाएं। जानवर के काटने के 72 घंटों (3 दिन) के भीतर इंजेक्शन लगवाना सबसे फायदेमंद होता है। देरी करने से वैक्सीन का असर कम हो सकता है।

आजकल सिर्फ 5 इंजेक्शन ही काफी हैं
पहले रेबीज के लिए 14 से 16 दर्दनाक इंजेक्शन लगते थे जिससे लोग कतराते थे लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नई गाइडलाइंस के अनुसार केवल 5 वैक्सीन डोज ही पर्याप्त हैं। ये डोज 0, 3, 7, 14 और 28वें दिन दी जाती हैं। यह जानकारी बहुत से लोगों को नहीं है जिसकी वजह से वे आज भी पुरानी 14 इंजेक्शन वाली बात पर यकीन करते हैं और इलाज में देरी होती है।