Edited By Radhika,Updated: 24 Dec, 2025 12:46 PM

भारत में अक्सर सड़क दुर्घटनाओं या मेडिकल इमरजेंसी के दौरान सबसे बड़ी चुनौती पीड़ित की सटीक Location का पता लगाना होती है। घबराहट, अनजान रास्ता या बेहोशी की स्थिति में व्यक्ति कंट्रोल रूम को अपना सही पता नहीं बता पाता, जिससे एम्बुलेंस या पुलिस को...
नेशनल डेस्क: भारत में अक्सर सड़क दुर्घटनाओं या मेडिकल इमरजेंसी के दौरान सबसे बड़ी चुनौती पीड़ित की सटीक Location का पता लगाना होती है। घबराहट, अनजान रास्ता या बेहोशी की स्थिति में व्यक्ति कंट्रोल रूम को अपना सही पता नहीं बता पाता, जिससे एम्बुलेंस या पुलिस को घटनास्थल तक पहुंचने में कीमती समय बर्बाद हो जाता है। इसी गंभीर समस्या का समाधान करते हुए गूगल ने भारत में अपनी 'इमरजेंसी लोकेशन सर्विस' (ELS) को आधिकारिक तौर पर एक्टिव कर दिया है। यह तकनीक पारंपरिक सेल-टावर ट्रैकिंग की कमियों को दूर करने के लिए पेश की गई है, जहाँ पहले लोकेशन का दायरा कई किलोमीटर तक फैला होता था, वहीं अब इसे कुछ मीटर की सटीकता तक सीमित कर दिया गया है ताकि हर सेकंड कीमती जान बचाई जा सके।
इन-बिल्ट सुरक्षा कवच की तरह करेगा काम
गूगल की यह नई सेवा एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के भीतर एक इन-बिल्ट सुरक्षा कवच की तरह काम करती है। जब भी भारत का कोई नागरिक इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर 112 पर कॉल करता है, तो ELS तकनीक बैकग्राउंड में तुरंत सक्रिय हो जाती है। यह प्रणाली केवल उपग्रह (GPS) पर निर्भर रहने के बजाय वाई-फाई सिग्नल्स, मोबाइल नेटवर्क टावर्स और डिवाइस के आंतरिक सेंसर्स (जैसे एक्सेलेरोमीटर) के एक डेटा 'कॉकटेल' का उपयोग करती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह ऊंची इमारतों के अंदर या घनी आबादी वाले इलाकों में भी काम करने में सक्षम है जहाँ अक्सर जीपीएस सिग्नल फेल हो जाते हैं। इसके अलावा यह सेवा लो-सिग्नल क्षेत्रों में इंटरनेट की अनुपस्थिति में भी Data SMS के माध्यम से आपातकालीन केंद्रों को स्थान की जानकारी भेज सकती है।
इमरजेंसी कॉल के दौरान ही होगा एक्टिवेट
तकनीक की कार्यप्रणाली के साथ-साथ गूगल ने उपयोगकर्ता की प्राइवेसी का भी विशेष ध्यान रखा है। कंपनी के अनुसार यह फीचर चौबीसों घंटे ट्रैकिंग नहीं करता है, बल्कि केवल इमरजेंसी कॉल के दौरान ही सक्रिय होता है और कॉल समाप्त होते ही बंद हो जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपकी लोकेशन का डेटा गूगल के सर्वर पर जाने के बजाय सीधे स्थानीय पुलिस या एम्बुलेंस के कंट्रोल रूम (एंडपॉइंट) को भेजा जाता है। वर्तमान में, इस सेवा को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से हुई है। यह तकनीक एंड्रॉयड 6.0 और उससे ऊपर के सभी स्मार्टफोन्स पर उपलब्ध है, बशर्ते उनमें गूगल प्ले सर्विसेज अपडेटेड हों। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति और बढ़ती आबादी को देखते हुए ELS जैसी तकनीकें भविष्य में देश के 'इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम' की रीढ़ साबित होंगी।