Edited By shukdev,Updated: 22 Jan, 2020 09:58 PM
दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी है। कंपनी ने मंगलवार को इस संबंध में शेयर बाजार को सूचित किया। भारती एयरटेल को रिजर्व बैंक से भी कंपनी में विदेशी निवेशकों को 74...
नई दिल्ली: दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी है। कंपनी ने मंगलवार को इस संबंध में शेयर बाजार को सूचित किया। भारती एयरटेल को रिजर्व बैंक से भी कंपनी में विदेशी निवेशकों को 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति है।
शेयर बाजार को दी गई सूचना के अनुसार, ‘भारती एयरटेल लिमिटेड को दूरसंचार विभाग से 20 जनवरी 2020 को विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर कंपनी की चुकता पूंजी के 100 प्रतिशत तक करने की मंजूरी मिल गई है।' कुछ दिन पहले ही कंपनी ने वैधनिक बकाये के रूप में करीब 35,586 करोड़ रुपए का भुगतान किया। इसमें 21,682 करोड़ रुपए लाइसेंस शुल्क और 13,904.01 करोड़ रुपए स्पेक्ट्रम बकाया है। इसमें टेलीनॉर और टाटा टेली के बकाये शामिल नहीं हैं।
सिंगापुर की सिंगटेल और अन्य विदेशी कंपनियों ने मांगी थी सरकार से अनुमति
भारती टेलीकॉम ने सिंगापुर की सिंगटेल और अन्य विदेशी कंपनियों से 4,900 करोड़ रुपए के निवेश के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी। सरकार की मंजूरी के बाद देश की सबसे पुरानी निजी क्षेत्र की यह दूरसंचार कंपनी एक विदेशी इकाई बन सकती है। भारती टेलिकॉम, भारती एयरटेल की प्रोमोटर कंपनी है।
सुनील भारती मित्तल के पास है 52 फीसदी हिस्सेदारी
100 फीसदी एफडीआई मंजूरी के बाद भारती टेलीकॉम में विदेशी हिस्सेदारी बढ़कर 50 फीसदी से अधिक हो जाएगी, जिससे यह एक विदेशी स्वामित्व वाली इकाई बन जाएगी। फिलहाल सुनील भारती मित्तल और उनके परिवार की भारती टेलीकॉम में करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है। भारती टेलीकॉम की भारती एयरटेल में करीब 41 फीसदी हिस्सेदारी है।
गौरतलब है कि एयरटेल देश की ग्राहकों की संख्या के अनुसार दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है। जियो पहले स्थान पर और वोडाफोन आइडिया तीसरे स्थान पर है। एयरटेल ने भारत में टाटा टेलिसर्विसेज, एमटीएन और टेलीनॉर का अधिग्रहण किया था। इसके अलावा एयरटेल दुनिया में छह कंपनियों का अधिग्रहण कर चुकी है।