बिजली के चूल्हे पर खाना पकाने का बढ़ रहा चलन, दिल्ली, तमिलनाडु सबसे आगे

Edited By Updated: 18 Oct, 2021 05:42 PM

growing trend of cooking on electric stove

देश में बिजली से चलने वाले चूल्हे और उपकरणों पर खाना पकाने का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इस मामले में दिल्ली और तमिलनाडु में 17 प्रतिशत परिवार इलेक्ट्रिक उपकरणों के जरिये खाना (ई-कुकिंग) बना रहे हैं। शोध संस्थान काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरन्मेंट एंड...

नेशनल डेस्क: देश में बिजली से चलने वाले चूल्हे और उपकरणों पर खाना पकाने का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इस मामले में दिल्ली और तमिलनाडु में 17 प्रतिशत परिवार इलेक्ट्रिक उपकरणों के जरिये खाना (ई-कुकिंग) बना रहे हैं। शोध संस्थान काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरन्मेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के एक अध्ययन में यह कहा गया है। सोमवार को जारी अध्ययन में कहा गया है, ‘‘दिल्ली, तमिलनाडु, तेलंगाना, असम और केरल में इंडक्शन चूल्हा, चावल पकाने के लिये इलेक्ट्रिक कुकर और माइक्रोवेव ओवन जैसे बिजली से चलने वाले उपकरणों के जरिये खाना पकाने का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है।'' सीईईडब्ल्यू के अध्ययन के अनुसार, दिल्ली और तमिलनाडु में 17 प्रतिशत परिवारों ने खाना पकाने के लिये इलेक्ट्रिक माध्यमों को अपनाया है। जबकि तेलंगाना में यह 15 प्रतिशत है।

केरल और असम में 12 प्रतिशत परिवार ने आंशिक रूप से ‘ई-कुकिंग' व्यवस्था को अपनाया है। यह अध्ययन ‘भारत आवासीय ऊर्जा सर्वे' (आईआरईएस), 2020 पर आधारित है। यह सर्वे ‘इनीशिएटिव फॉर सस्टेनेबल एनर्जी पॉलिसी' के साथ मिलकर किया गया। यह सर्वाधिक आबादी वाले 21 राज्यों के 152 जिलों में कुल 15,000 शहरी तथा ग्रामीण परिवारों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने इस साल फरवरी में खाना पकाने के लिये ‘गो इलेक्ट्रिक' अभियान शुरू किया। इसका मकसद बिजली से चलने वाले उपकरणों से खाना पकाने के लाभ को बढ़ावा देना है। सीईईडब्ल्यू अध्ययन में आगे कहा गया है कि शहरी परिवार के बीच ई-कुकिंग की पहुंच 10.3 प्रतिशत है जबकि ग्रामीण परिवार में यह केवल 2.7 प्रतिशत है।

कुल मिलाकर देशभर में केवल 5 प्रतिशत परिवारों ने ई-कुकिंग को अपनाया है। एलपीजी के मौजूदा कीमत को देखते हुए बिजली पर सब्सिडी प्राप्त करने वाले परिवारों के लिये ई-कुकिंग सस्ती है। हालांकि, उपकरणों की खरीद पर होने वाला शुरुआती खर्च और बिजली से चलने वाले चूल्हे पर खाना पकाने को लेकर धारणा की वजह से शहरी परिवार में इसका उपयोग तेजी से नहीं बढ़ रहा है। सीईईडब्ल्यू के अध्ययन के अनुसार ई-कुकिंग अपनाने वाले 93 प्रतिशत परिवार अभी भी तरलीकृत प्राकृतिक गैस पर भरोसा करते हैं और ई-कुकिंग उपकरणों को जरूरत पड़ने पर उपयोग के लिये रखते हैं। इसमें कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में बिजली आधारित उपकरणों से खाना पकाने का फिलहाल समृद्ध परिवारों में ज्यादा चलन है। खासकर दिल्ली और तमिलनाडु में जहां बिजली की दर महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों के मुकाबले कम है।

सीईईडब्ल्यू में लेखक और कार्यक्रम की अगुवाई करने वाली शालू अग्रवाल ने कहा, ‘‘कम कीमत सबसे महत्वपूर्ण कारक है जो किसी भी खाना पकाने के ईंधन को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए, अपेक्षाकृत अधिक सब्सिडी वाले राज्यों में संपन्न शहरी परिवारों में ई-कुकिंग को तेजी से अपनाने की संभावना है।'' अध्ययन में कहा गया है कि ऊर्जा दक्षता और कम लागत वाले उपकरणों की उपलब्धता, उपयुक्त वित्तीय समाधान तथा भरोसेमंद बिजली सेवाएं ‘ई-कुकिंग' को अपनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।

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