Edited By Anu Malhotra,Updated: 03 Dec, 2025 01:25 PM

नई रिसर्च में यह सामने आया है कि आइसक्रीम, डाइट सोडा, च्युइंग गम और अन्य शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स में मौजूद सोर्बिटोल जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर्स लंबे समय तक सेवन करने पर नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
नेशनल डेस्क: नई रिसर्च में यह सामने आया है कि आइसक्रीम, डाइट सोडा, च्युइंग गम और अन्य शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स में मौजूद सोर्बिटोल जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर्स लंबे समय तक सेवन करने पर नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये स्वीटनर्स आंत में पूरी तरह टूटते नहीं हैं, जिससे लिवर में फैट जमा होने लगता है और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। खासकर जो लोग रोजाना डाइट सोडा या शुगर-फ्री ड्रिंक्स का सेवन करते हैं, उनके लिए यह खतरा और बढ़ जाता है।
सोर्बिटोल: शुगर-फ्री का छुपा खतरा
European Medical Journal में प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार, शुगर-फ्री और डाइट प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाला स्वीटनर सोर्बिटोल हमारी छोटी आंत में पूरी तरह से पचता नहीं। इसके कारण यह लिवर तक पहुँचकर वहां फैट जमा करने की प्रक्रिया को बढ़ाता है और लिवर की कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर डालता है।
फैटी लिवर का जोखिम बढ़ सकता है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोर्बिटोल सीधे तौर पर लिवर डिजीज नहीं करता, लेकिन लंबे समय तक इसका नियमित सेवन नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का खतरा बढ़ा सकता है। रिसर्च में बताया गया है कि रोजाना एक कैन डाइट सोडा पीने से NAFLD का जोखिम शुगर ड्रिंक की तुलना में 60% ज्यादा हो सकता है।
क्यों होता है लिवर पर असर?
हेल्दी आंतों में मौजूद बैक्टीरिया सोर्बिटोल को तोड़ते हैं। लेकिन जब बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है या बैक्टीरिया प्रभावित होते हैं, तो सोर्बिटोल का शरीर में जमा होना शुरू हो जाता है। यह लिवर तक पहुँचकर फैट जमा करने का कारण बनता है, जिससे NAFLD और अन्य मेटाबोलिक समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
डाइट सोडा और शुगर-फ्री विकल्प भी सुरक्षित नहीं
डाइट सोडा, शुगर-फ्री आइसक्रीम या च्युइंग गम जैसी चीजें सिर्फ कैलोरी कम करने का भ्रम देती हैं। लेकिन इनके अंदर इस्तेमाल किए गए आर्टिफिशियल स्वीटनर और सोर्बिटोल आंत के बैक्टीरिया संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे लिवर फैट बढ़ता है और Type 2 Diabetes, metabolic syndrome और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है।
डाइट या शुगर-फ्री विकल्प हमेशा हेल्दी नहीं होते। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इनका सेवन सीमित करें और मुख्य रूप से पानी या बिना स्वीटनर वाले पेय को प्राथमिकता दें। शुगर-फ्री खाने-पीने की आदत आपके लिवर और मेटाबोलिज़्म के लिए जोखिम भरी हो सकती है।