GST के बाद क्या सेस से भी राहत देगी सरकार? ऑटो इंडस्ट्री बैठी है टकटकी लगाए

Edited By Updated: 05 Sep, 2025 06:02 PM

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भारत सरकार ने जीएसटी सुधारों की घोषणा की है, जिसमें छोटी कारों और इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स में राहत दी गई है। छोटी कारों पर टैक्स 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है, जबकि प्रीमियम और लग्जरी कारों पर टैक्स 40% किया गया है। 350 सीसी से ऊपर की...

नेशनल डेस्क: भारत सरकार ने लंबे इंतजार के बाद आखिरकार जीएसटी सुधारों का ऐलान कर दिया है। इन बदलावों का उद्देश्य आम जनता की जेब में अधिक पैसा छोड़ना और बाजार में खपत को बढ़ावा देना है। ऑटोमोबाइल सेक्टर ने इस फैसले का स्वागत करते हुए आशा जताई है कि यह कदम खासतौर पर त्योहारी सीजन में मांग को नई उड़ान देगा।

छोटे वाहनों और EV पर राहत
नई जीएसटी दरों के तहत इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर 5 प्रतिशत टैक्स की दर पहले जैसी ही बनी रहेगी। वहीं, 4 मीटर तक लंबाई वाली छोटी कारों और 1200 सीसी तक के पेट्रोल-डीजल इंजन वाली कारों पर अब केवल 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा, जो पहले की 28 प्रतिशत दर से 10 प्रतिशत कम है। इससे छोटी कार खरीदने वालों को बड़ी राहत मिलेगी और कंपनियों को बिक्री बढ़ाने का अवसर मिलेगा। सरकार ने प्रीमियम एसयूवी, हाई-एंड ईवी और लग्जरी कारों पर टैक्स को 40 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही, कारों पर लगने वाले सेस को भी हटा दिया गया है। इससे बड़ी और लग्जरी कारें खरीदना आसान हो जाएगा।

डीलरों की बुक्स में पड़े सेस बैलेंस का कैसे होगा निपटारा?
जीएसटी बैठक में कंपनसेशन सेस को समाप्त करने का फैसला लिया गया है, जिसे इंडस्ट्री के लिए एक व्यावहारिक कदम माना जा रहा है। हालांकि, कुछ बारीक पहलुओं पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। डीलरों को राहत देते हुए पुराने स्टॉक पर इनपुट टैक्स क्रेडिट देने का प्रावधान किया गया है, जिससे वे त्योहारी सीजन से पहले पर्याप्त इन्वेंट्री तैयार कर सकेंगे। हालांकि, FADA अध्यक्ष सी.एस. विनेश्वर ने सरकार से आग्रह किया है कि डीलरों की बुक्स में पड़े सेस बैलेंस के निपटारे पर जल्द स्पष्टता दी जाए।

त्योहारी सीजन में बिक्री को मिलेगी बढ़त
नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी, जो नवरात्रि के ठीक शुरुआत का समय है। यह समय वाहन बिक्री के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि नवरात्रि, दशहरा और दिवाली के दौरान खरीदारी का माहौल रहता है। उद्योग को उम्मीद है कि नए जीएसटी रेट्स से बिक्री में स्पष्ट सुधार होगा। नए नियमों के तहत 350 सीसी से ऊपर की मोटरसाइकिलों पर टैक्स में 9% की बढ़ोतरी हुई है। इससे बजाज, ट्रायम्फ और हीरो-हार्ले जैसी कंपनियों को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। इनका मुकाबला रॉयल एनफील्ड से है, इसलिए कीमत और उत्पाद पोजिशनिंग में बदलाव संभव है।

राज्यों की चिंता और संभावित चुनौतियां
केंद्र सरकार की राहत के बावजूद कई राज्य राजस्व घाटे को लेकर चिंतित हैं। संभावना है कि कुछ राज्य वाहन रजिस्ट्रेशन चार्ज बढ़ाकर अपनी आय की भरपाई करेंगे, जिससे उपभोक्ताओं के लिए लागत में वृद्धि हो सकती है। EY इंडिया के ऑटोमोटिव टैक्स लीडर सौरभ अग्रवाल ने कहा है कि कंपनियों को अब राज्यों के साथ फिर से वार्ता करनी होगी क्योंकि कई राज्य इंसेंटिव और सब्सिडी सीधे जीएसटी दरों से जुड़े हैं। इससे लागत और क्लॉज बैक पीरियड को लेकर नई स्थिति बन सकती है।

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