Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Mar, 2023 11:56 AM

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare) ने चिकित्सकीय लापरवाही (medical negligence) के मामलों के निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की लंबे समय से जारी मांग पर विचार...
नेशनल डेस्क: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare) ने चिकित्सकीय लापरवाही (medical negligence) के मामलों के निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की लंबे समय से जारी मांग पर विचार किया है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने की ओर से सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में कहा कि हालांकि, चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों के निर्धारण के लिए फिलहाल कोई दिशा-निर्देश नहीं है, लेकिन यह मामला विचाराधीन है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के चिकित्सा शिक्षा नीति अनुभाग में अवर सचिव सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि इस संबंध में अब तक कोई दिशा-निर्देश तैयार नहीं किए गए हैं। यह मामला विचाराधीन है।'' केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी का पद भी संभालने वाले सुनील कुमार गुप्ता ने लिखित जवाब में यह जानकारी दी। दरअसल उनसे पूछा गया था कि ‘‘क्या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों का निर्धारण करने के लिए कोई दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। ''
सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में जैकब मैथ्यू मामले में पहली बार चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों से निपटने के लिए तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा नियामक भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) के परामर्श से केंद्र को वैधानिक नियम बनाने का निर्देश दिया था, क्योंकि यह चिकित्सकों और रोगियों दोनों को प्रभावित करता है। जहां एक ओर रोगियों को दोषी चिकित्सकों के खिलाफ न्याय पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है, वहीं ओछे आरोप और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई चिकित्सकों को परेशान करती है। कानूनी और चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, एक उचित वैधानिक ढांचा न केवल रोगियों के हितों की रक्षा करेगा बल्कि चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा के मामलों पर भी अंकुश लगाएगा।