गुजरात सरकार का बड़ा फैसला: अब 9वीं से 12वीं तक भगवद् गीता अनिवार्य, उर्दू स्कूलों में भी होगी पढ़ाई

Edited By Updated: 07 Aug, 2025 04:47 PM

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गुजरात सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए श्रीमद् भगवद् गीता को अनिवार्य कर दिया है। यह नियम गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू माध्यम के स्कूलों पर भी लागू होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति...

नेशनल डेस्क: गुजरात सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए श्रीमद् भगवद् गीता को अनिवार्य कर दिया है। यह नियम गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू माध्यम के स्कूलों पर भी लागू होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों को गीता की नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षाओं से जोड़ना है।

कैसे होगी पढ़ाई?
गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSHSEB) ने इस शैक्षणिक वर्ष से कक्षा 9 से 12 तक की पहली भाषा की पाठ्यपुस्तकों में गीता के मूल्य-आधारित अध्याय शामिल किए हैं।
गुजराती माध्यम: गीता के अध्याय सीधे पाठ्यपुस्तकों में शामिल किए गए हैं। 
हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू माध्यम: इनके लिए अलग से पूरक पुस्तिकाएँ तैयार की गई हैं, जिनमें दो-दो अध्याय जोड़े गए हैं।
शिक्षा राज्यमंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया ने इस फैसले पर कहा कि गीता सिर्फ़ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह नैतिक जीवन के लिए एक मार्गदर्शक है। इससे छात्रों में भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व की भावना पैदा होगी।


जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जताया विरोध
इस फैसले को लेकर जहाँ कई लोगों ने इसका समर्थन किया है, वहीं कुछ संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने गुजरात हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर इस फैसले की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए हैं। हालाँकि, कोर्ट ने फिलहाल इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और मामला अभी विचाराधीन है।


 

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