हरियाणा मंत्रिमंडल ने 'हरियाणा लैंड पूलिंग पॉलिसी' 2022 को दी मंजूरी

Edited By Archna Sethi,Updated: 29 Jul, 2022 08:35 PM

haryana cabinet approves  haryana land pooling policy  2022

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा लैंड पूलिंग पॉलिसी - 2022 को मंजूरी प्रदान की गई। यह नीति मुख्य शहरीकरण और औद्योगीकरण उद्देश्यों के लिए लैंडबैंक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।चूंकि भूमि...

चंडीगढ़, 29 जुलाई-(अर्चना सेठी ) मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा लैंड पूलिंग पॉलिसी - 2022 को मंजूरी प्रदान की गई। यह नीति मुख्य शहरीकरण और औद्योगीकरण उद्देश्यों के लिए लैंडबैंक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।चूंकि भूमि मालिक विकास प्रक्रिया में भागीदार होंगे, इसलिए नीति का उद्देश्य भूमि के आवंटन को रिक्त भूमि (रॉ लैंड) की लागत से जोड़कर उन्हें अधिकतम लाभ प्रदान करना है। नीति में विभिन्न चरणों में समय-सीमा निर्धारित की गई है ताकि भूमि मालिकों के हितों की सु‌रक्षित की जा सके और समयबद्ध तरीके से भूमि विकास के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके।

 

हरियाणा लैंड पूलिंग पॉलिसी-2022 का उद्देश्य बुनियादी ढांचे के विकास सहित नियोजित विकास के उद्देश्य को प्राप्त करना और उक्त विकास में भागीदार बनने के इच्छुक भूमि मालिकों की स्वैच्छिक भागीदारी के माध्यम से भूमि प्राप्त करना है।इस नीति का उद्देश्य हरियाणा अनुसूचित सड़क एवं नियंत्रित क्षेत्र प्रतिबंध के प्रावधानों के अनियमित विकास अधिनियम, 1963 के तहत राज्य सरकार द्वारा पब्लिशड डेवलपमेंट प्लान के निर्धारित क्षेत्र के भीतर एक सेक्टर या उसके हिस्से के विकास के लिए भूमि के पूलिंग हेतू एक निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र विकसित करना है।

 

इस नीति के तहत हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) पब्लिशड डेवलपमेंट प्लान में शहरी क्षेत्र के भीतर स्थित क्षेत्रों के मामले में आवासीय, वाणिज्यिक, संस्थागत और बुनियादी ढांचे का विकास करेगा। इसके अलावा, हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एचएसआईआईडीसी) इस नीति के तहत हरियाणा में कहीं भी औद्योगिक, बुनियादी ढांचे या संस्थागत उद्देश्यों के लिए विकास कार्य करेगा। नीति के तहत एचएसआईआईडीसी और एचएसवीपी के लिए उपरोक्त उद्देश्यों के अलावा राज्य सरकार किसी भी विभाग या किसी बोर्ड, निगम या राज्य सरकार के स्वामित्व और नियंत्रण वाले अन्य संगठन को किसी भी निर्दिष्ट विकास उद्देश्य के लिए अधिकृत किया जा सकता है। ऐसा तब किया जाएगा, जब राज्य सरकार को ऐसा करना आवश्यक लगेगा।

 

यह नीति निर्दिष्ट विकास उद्देश्य के लिए परियोजना हेतू भूमि की पेशकश करने वाले भूमि मालिकों पर लागू होगी। यह नीति उन एग्रीगेटर पर लागू होगी, जो निर्दिष्ट विकास उद्देश्य के लिए परियोजना हेतू भूमि की पेशकश करने के लिए कई भूमि मालिकों के साथ समझौते के तहत भूमि एकत्र करता है। नीति विकास योजना में निर्दिष्ट भूमि उपयोग के अनुरूप भूमि के लिए लागू होगी। साथ ही, यह नीति हरियाणा में किसी अन्य क्षेत्र के संबंध में भी लागू होगी, जहां विकास का उद्देश्य बुनियादी ढांचा या औद्योगिक विकास हो।डेवलपपेंट ऑर्गनाइजेशन द्वारा भू-स्वामियों को एक भूमि अधिकार प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जो ट्रेड या मोर्टगेज रखा जा सकता है। *आवेदन जमा करने की प्रक्रिया*

 

 नीति के तहत, कोई भी भूमि मालिक, या तो सीधे या एक एग्रीगेटर के माध्यम से प्रकाशन में निर्दिष्ट अवधि, जोकि 60 दिनों से कम नहीं होगी,  के भीतर विकास उद्देश्य के लिए परियोजना हेतू भूमि की पेशकश करने के लिए आवेदन जमा कर सकता है।इस अवधि को डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन द्वारा आवश्यकता अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है, लेकिन यह 30 दिनों से अधिक नहीं होगी। आवेदन के लिए कोई शुल्क नहीं होगा। भूमि मालिक परियोजना के लिए प्रस्तावित भूमि के विवरण के साथ डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन की वेबसाइट पर अपना आवेदन ऑनलाइन जमा करेंगे। मैन्युअल रूप से जमा किए गए किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा और ऐसे आवेदन को खारिज कर दिया जाएगा। परियोजना के लिए आवेदन करने में सहायता के लिए डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन द्वारा एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर प्रदान किया जा सकता है।

 

आवंटन मानदंड

भूस्वामियों को विकसित भूमि का आवंटन हिस्सा विकास संगठन के लिए परियोजना की कुल लागत में भूस्वामियों द्वारा योगदान की गई अविकसित भूमि के बाजार मूल्य पर आधारित होगा। भूस्वामियों को विकसित भूमि का आवंटन हिस्सा डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के लिए परियोजना की कुल लागत में भूस्वामियों द्वारा योगदान दी गई अविकसित भूमि के  बाजार मूल्य के आधार पर होगा। विकास परियोजना के लिए योगदान करने वाले प्रत्येक भूस्वामी को वार्षिक अंतरिम वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिसे परियोजना की कुल लागत में शामिल किया जाएगा। परियोजना की कुल लागत सभी भूस्वामियों द्वारा योगदान की गई अविकसित भूमि के मूल्य, विकास की लागत, अंतरिम वार्षिक सहायता और प्रशासनिक शुल्क का योग होगा।

 

स्वैच्छिक आवेदन

इस नीति के अंतर्गत प्रकाशन न होने की स्थित में भी भू-स्वामी या एग्रीगेटर, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वेबसाइट पर राज्य सरकार को ऑनलाइन मोड के माध्यम से स्वेच्छा से अपनी भूमि की पेशकश कर सकता है। राज्य सरकार को इस तरह के आवेदन जमा करने के लिए कोई समय निर्दिरष्ट नहीं होगा और कोई भी डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन विकास उद्देश्यों के लिए किसी भी परियोजना हेतू प्रस्तावित भूमि का उपयोग कर सकता है।भूमि मालिक, सीधे या एग्रीगेटर के माध्यम से, निर्दिष्ट विकास उद्देश्य के लिए परियोजना हेतू राज्य सरकार के ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से अपने स्वामित्व वाली भूमि की पेशकश करने के लिए स्वतंत्र होगा। इस स्थिति में उक्त प्रस्ताव पर के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की 6 फरवरी, 2017 की नीति के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

 

एग्रीगेटर को 0.5 प्रतिशत पारिश्रमिक मिलेगा यदि एग्रीगेटर के माध्यम से भूमि की पेशकश की जाती है, तो एग्रीगेटर भूस्वामियों और एग्रीगेटर के बीच सहमति के अनुसार पारिश्रमिक प्राप्त करने का पात्र होगा। बशर्ते कि पारिश्रमिक 0.5 प्रतिशत से कम न हो।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!