Edited By Parveen Kumar,Updated: 12 Dec, 2025 05:27 PM

यूनियन कैबिनेट ने शुक्रवार को एक बेहद अहम फैसला लेते हुए 11,718.24 करोड़ रुपये की लागत से होने वाली भारत की जनगणना 2027 को मंज़ूरी दे दी है। यह दुनिया की सबसे विशाल प्रशासनिक और सांख्यिकीय कवायद मानी जाती है।
नेशनल डेस्क: यूनियन कैबिनेट ने शुक्रवार को एक बेहद अहम फैसला लेते हुए 11,718.24 करोड़ रुपये की लागत से होने वाली भारत की जनगणना 2027 को मंज़ूरी दे दी है। यह दुनिया की सबसे विशाल प्रशासनिक और सांख्यिकीय कवायद मानी जाती है।
कैबिनेट मीटिंग के बाद जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह जनगणना इस सीरीज़ की 16वीं और आज़ादी के बाद 8वीं जनगणना होगी। उन्होंने इस बार की जनगणना की सबसे खास बात बताते हुए कहा, “जनगणना 2027 पहली डिजिटल जनगणना होगी। इसका डिजिटल डिज़ाइन पूरी तरह डेटा प्रोटेक्शन को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।”
दो चरणों में होगी देश की ऐतिहासिक जनगणना
सरकार ने जनगणना को दो बड़े चरणों में पूरा करने की योजना बनाई है-
हाउसलिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना: अप्रैल से सितंबर 2026
पॉपुलेशन एन्यूमरेशन (PE): फरवरी 2027
डिजिटल जनगणना से क्या बदलेगा?
नई प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होने से काम तेज, सुरक्षित और पारदर्शी होगा। नागरिकों के डेटा की गोपनीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा।