मक्की बीजने वाले प्रगतिशील किसानों का सम्मान

Edited By Updated: 23 Dec, 2025 08:12 PM

honoring progressive farmers who plant maize

मक्की बीजने वाले प्रगतिशील किसानों का सम्मान


चंडीगढ़, 23 दिसंबर (अर्चना सेठी) प्रदेश में खरीफ की मक्की के पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के मद्देनज़र  पंजाब सरकार ने आज उन प्रगतिशील मक्की काश्तकारों का सम्मान किया, जिन्होंने पानी की अधिक खपत वाली धान की फसल की जगह खरीफ की मक्की की खेती की ओर रुख किया। पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  गुरमीत सिंह खुड्डियां ने प्रगतिशील मक्की किसानों को प्रशंसा प्रमाण-पत्र प्रदान किए और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे अन्य किसानों को भी खरीफ की मक्की की खेती के लिए जागरूक करें।

उन्होंने कहा कि खरीफ की मक्की पायलट प्रोजेक्ट, जिसका उद्देश्य फसली विविधता, भूमिगत जल के गिरते स्तर को रोकना, मिट्टी की सेहत में सुधार करना और किसानों की आय बढ़ाना है, के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। सरकार अगले सीजन के लिए इस कार्यक्रम के विस्तार पर विचार कर रही है ताकि अधिक किसानों को पानी की अधिक खपत वाली धान की फसल से हटाकर मक्की की खेती की ओर प्रोत्साहित किया जा सके।

मक्की की खेती को एक टिकाऊ विकल्प और धान की तुलना में बहुत कम पानी की आवश्यकता वाली फसल के रूप में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी और उद्योग जगत के साझेदारों से सलाह-मशवरा करके रणनीतिक नीति तैयार की जा रही है, जिसका उद्देश्य पंजाब को मक्की के उत्पादन में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करना है।

कृषि मंत्री ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत इस साल बठिंडा, संगरूर, गुरदासपुर, जालंधर, कपूरथला और पठानकोट जिलों में मक्की को धान के लाभदायक एवं टिकाऊ विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया। 3,708 से अधिक प्रगतिशील किसानों ने इस पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत 11,326 एकड़ क्षेत्र को धान से हटाकर मक्की की खेती के अंतर्गत सफलतापूर्वक लाया गया।

यह पहल दशकों से चले आ रहे रुझान को समाप्त करने के लिए एक रणनीतिक कदम की निशानदेही करती है। उन्होंने कहा कि 1970 के दशक में पंजाब में 5.5 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मक्की की खेती की जाती थी, लेकिन वर्तमान समय में पंजाब में पानी की अधिक खपत वाले धान का रुझान है, जिस कारण मक्की के अंतर्गत क्षेत्र मात्र एक लाख हेक्टेयर रह गया।

खरीफ की मक्की की खेती करने वाले प्रगतिशील किसानों का बदलाव के झंडाबरदार के रूप में प्रशंसा करते हुए  खुड्डियां ने कहा, ‘‘आज, हम सिर्फ एक सफल फसल का जश्न नहीं मना रहे हैं। हम पंजाब में बोए जा रहे नए एवं टिकाऊ खेती अभ्यासों का जश्न मना रहे हैं। हमारे किसानों ने साबित कर दिया है कि सही सहायता से हम अपने कीमती पानी, मिट्टी और आर्थिक खुशहाली को सुरक्षित कर सकते हैं। उनकी हिम्मत वह नींव है, जिस पर हम एक विविधता वाली कृषि अर्थव्यवस्था को फिर से बनाएंगे।’’

 गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि खरीफ की मक्की पायलट प्रोजेक्ट एक मजबूत पांच-स्तंभ वाली प्रणाली द्वारा सफल किया गया। इसमें 200 प्रशिक्षित ‘‘किसान मित्रों’’ द्वारा जमीनी स्तर पर किसानों की तकनीकी सहायता शामिल है, फसलोें के विकल्प की लागतों को पूरा करने के लिए प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये के सीधे वित्तीय प्रोत्साहन के अलावा न्यूमैटिक प्लांटरों जैसी उन्नत मशीनरी पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी दी गई। इसके अलावा, पीएयू के विशेषज्ञों ने अति-आधुनिक तकनीकी मार्गदर्शन के साथ वैज्ञानिक सहायता भी प्रदान की, जबकि मार्कफेड द्वारा किसानों के लिए मक्की की लाभदायक कीमतें सुनिश्चित करने के लिए विपणन का आश्वासन भी दिया गया।

कृषि मंत्री ने मक्की किसानों से उनके अनुभव और उन्हें पेश चुनौतियों को जानने के लिए बातचीत भी की। पठानकोट जिले के मक्की किसान संसार सिंह और गुरपाल सिंह ने अपनी सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने प्रति एकड़ 25-26 क्विंटल की रिकॉर्ड पैदावार की और अपनी फसल 2,700 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची, जो कि एमएसपी 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक है।


 

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