Edited By Rohini Oberoi,Updated: 29 Jun, 2025 03:55 PM

अंतरिक्ष में मौजूद एस्ट्रोनॉट्स धरती पर अपने परिवारों और ग्राउंड कंट्रोल से लगातार संपर्क में रहते हैं जिसमें वीडियो कॉल भी शामिल हैं। यह सब विज्ञान की उन्नत तकनीकों की बदौलत संभव हो पाता है क्योंकि अंतरिक्ष में न तो कोई मोबाइल टावर है और न ही...
नेशनल डेस्क। अंतरिक्ष में मौजूद एस्ट्रोनॉट्स धरती पर अपने परिवारों और ग्राउंड कंट्रोल से लगातार संपर्क में रहते हैं जिसमें वीडियो कॉल भी शामिल हैं। यह सब विज्ञान की उन्नत तकनीकों की बदौलत संभव हो पाता है क्योंकि अंतरिक्ष में न तो कोई मोबाइल टावर है और न ही इंटरनेट के तार बिछे हैं।

अंतरिक्ष में कम्युनिकेशन की चुनौती
अंतरिक्ष में हवा नहीं होती और वैक्यूम में किसी भी तरह का कम्युनिकेशन मुश्किल होता है। स्पेसक्राफ्ट सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भागते हैं जिससे उनसे लगातार संपर्क बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।
NASA का स्पेस कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन सिस्टम
वैज्ञानिकों के अनुसार अंतरिक्ष में कम्युनिकेशन करने का काम NASA का स्पेस कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन सिस्टम (SCaN) करता है। यह सिस्टम एक ट्रांसमिटर-नेटवर्क-रिसीवर की तरह काम करता है। ट्रांसमिटर मैसेज को कोड में बदलकर नेटवर्क के ज़रिए भेजता है और रिसीवर उसे रिसीव करके डिकोड करता है।

कैसे काम करता है यह सिस्टम?
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बड़े एंटीना: NASA ने पूरी धरती के सातों महाद्वीपों पर बड़े-बड़े एंटीना लगाए हैं। ये एंटीना लगभग 230 फुट के होते हैं और इन्हें इस तरह से चुना गया है कि ये स्पेसक्राफ्ट और ग्राउंड स्टेशन के बीच कम्युनिकेशन की मुख्य धुरी के तौर पर काम करें। इतना बड़ा आकार और हाई फ्रीक्वेंसी होने की वजह से इनके ज़रिए 200 करोड़ मील तक भी संपर्क किया जा सकता है।
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रिले सैटेलाइट: इन एंटीना के अलावा NASA के पास कई रिले सैटेलाइट भी हैं। ये सैटेलाइट अंतरिक्ष में एक पुल का काम करते हैं जो स्पेस स्टेशन या अन्य अंतरिक्ष यानों से सिग्नल प्राप्त करके उन्हें धरती पर मौजूद एंटीना तक भेजते हैं और इसका उल्टा भी करते हैं।
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रेडियोवेव तकनीक: वर्तमान में NASA कम्युनिकेशन के लिए मुख्य रूप से रेडियोवेव का इस्तेमाल करता है।

भविष्य की तकनीक: इन्फ्रारेड लेज़र
NASA अब इन्फ्रारेड लेज़र का इस्तेमाल करने वाली तकनीक पर भी काम कर रहा है। माना जा रहा है कि भविष्य में इस तकनीक के ज़रिए अंतरिक्ष से धरती पर संपर्क करना और भी आसान हो जाएगा जिससे डेटा ट्रांसफर की गति और दक्षता कई गुना बढ़ जाएगी।
इस प्रकार जटिल वैज्ञानिक प्रणालियों और एक विशाल नेटवर्क के ज़रिए ही अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से धरती पर वीडियो कॉल सहित हर तरह का कम्युनिकेशन कर पाते हैं।