Election Commission बिहार वाली गलती दोहराएगा तो राहुल बंगाल में आंदोलन का नेतृत्व करेंगे

Edited By Updated: 20 Sep, 2025 06:12 PM

if the ec repeats the bihar mistake rahul will lead a movement

कांग्रेस नेता प्रसेनजीत बोस ने कहा कि अगर निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया के दौरान “बिहार में की गई गलतियों को दोहराता” है तो राहुल गांधी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल में विशेष SIR विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करेंगे।

नेशनल डेस्क: कांग्रेस नेता प्रसेनजीत बोस ने कहा कि अगर निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया के दौरान “बिहार में की गई गलतियों को दोहराता” है तो राहुल गांधी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। हाल में पार्टी में शामिल हुए अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता बोस ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण होने पर, “संभवतः आगामी त्योहारी सीजन के बाद”,भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का राजनीतिक पुनर्गठन होगा।

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बोस (51) ने एक साक्षात्कार में मीडिया एजेंसी को बताया, “लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बिहार में एसआईआर विरोधी आंदोलन में अग्रणी हैं और इस पक्षपातपूर्ण गतिविधि का उनके द्वारा किया गया खुलासा न केवल कांग्रेस को महत्वपूर्ण राजनीतिक समर्थन प्रदान करेगा, बल्कि समूचे ‘इंडिया' गठबंधन के कार्यकर्ताओं को भी उत्साहित करेगा।” बोस ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं कि यदि चुनाव आयोग बिहार के अनुभव से सबक नहीं लेता है तो वह पश्चिम बंगाल और असम, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी यही तरीका अपनाएंगे, जहां अगले साल चुनाव होने हैं।”

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पूर्व वामपंथी नेता ने कहा कि हालांकि तृणमूल कांग्रेस के शासन में भ्रष्टाचार, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार, तथा भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों के उत्पीड़न जैसे मुद्दे पश्चिम बंगाल में चुनावी एजेंडे पर हावी रहेंगे, लेकिन प्रक्रिया शुरू होने के बाद एसआईआर के केंद्र में आने की संभावना है। बोस ने कहा, “एसआईआर के बाद राजनीतिक विपक्ष का पुनर्गठन, भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस द्वारा तृणमूल कांग्रेस से हाथ मिलाने के रूप में सामने आएगा या नहीं, यह पूरी तरह से यहाँ की सत्ताधारी व्यवस्था पर निर्भर करेगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक ने अपनी 'एकला चलो रे' नीति (अकेले चलने की) पर कायम हैं और आप कांग्रेस से सीटों के बंटवारे के लिए भीख मांगने की उम्मीद नहीं कर सकते।”

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बोस, जेएनयू के एक प्रमुख छात्र नेता और 1990 के दशक के मध्य से 2000 के दशक के प्रारंभ तक एसएफआई के सबसे प्रसिद्ध रणनीतिकारों में से एक थे। वे 15 सितंबर को कोलकाता में वामपंथी से कांग्रेस में आए नेताओं सैयद नसीर हुसैन और कन्हैया कुमार की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हुए। उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी का समर्थन करने पर पार्टी के साथ मतभेदों के कारण 2012 में माकपा से इस्तीफा दे दिया था और बाद में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

बोस ने हालांकि कहा कि शेष राज्यों में एसआईआर प्रक्रिया के प्रति चुनाव आयोग द्वारा नरम रुख अपनाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “कोई नहीं जानता कि बिहार में चुनाव आयोग को जिस तरह के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और विवादास्पद प्रक्रिया पर बाद में सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के अनुभव को देखते हुए, वह पश्चिम बंगाल में नरम रुख अपना सकता है।”

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