Good News: भारत ने बनाई पहली सुपर एंटीबायोटिक नेफिथ्रोमाइसिन, डायबिटीज और कैंसर के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी ये देसी दवा

Edited By Updated: 19 Oct, 2025 05:10 PM

india develops first antibiotic nefithromycin for diabetes and cancer patients

भारत ने मेडिकल क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है और पहली स्वदेशी सुपर एंटीबायोटिक ‘नेफिथ्रोमाइसिन’ बनाई है। यह दवा उन बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम है, जिन पर पुरानी एंटीबायोटिक्स काम नहीं करतीं। खासकर डायबिटीज और कैंसर मरीजों के लिए यह वरदान साबित...

नेशनल डेस्क : भारत ने मेडिकल क्षेत्र में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। देश में पहली बार स्वदेशी सुपर एंटीबायोटिक 'नेफिथ्रोमाइसिन' (Naphthromycin) तैयार की गई है। यह दवा उन बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम है, जिन पर अन्य एंटीबायोटिक्स असर नहीं करते। खासकर डायबिटीज और कैंसर के मरीजों के लिए यह दवा वरदान साबित हो सकती है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के मुताबिक, यह दवा पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है। 14 साल की मेहनत के बाद बनाई गई इस दवा ने लगभग 97% मरीजों में सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं।

पहले क्या थी समस्या?

डायबिटीज या कैंसर के मरीजों में संक्रमण की समस्या आम है। अक्सर पुरानी दवाएं इन मरीजों पर काम नहीं करतीं, जिससे मरीज परेशान हो जाते हैं। नेफिथ्रोमाइसिन विशेष रूप से सांस की बीमारियों, जैसे निमोनिया, के इलाज के लिए तैयार की गई है। यह Streptococcus bacteria से होने वाले निमोनिया के 33% मामलों में जिम्मेदार है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, यह दवा Azithromycin से 10 गुना अधिक ताकतवर है और केवल तीन दिन में गंभीर निमोनिया ठीक कर सकती है।

यह भी पढ़ें - अमेरिकी डॉक्टर ने बताया लिवर के लिए जहर साबित हो रहे हैं ये फूड, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

किसने बनाई यह दवा?

नेफिथ्रोमाइसिन को बनाने में मुंबई की Wockhardt Limited ने मुख्य भूमिका निभाई। इसमें जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और बीआईआरएसी (BIRAC) ने सहयोग किया। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत वैज्ञानिकों ने 14 साल तक मेहनत की। पहले लैब टेस्ट, फिर एनिमल ट्रायल और आखिर में इंसानों पर इसका परीक्षण किया गया। दवा का मार्केट नाम 'Miqnaf' रखा गया है और यह 2025 के अंत तक मार्केट में उपलब्ध होगी। कीमत किफायती रखी जाएगी और इसे आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने की योजना है।

फायदे और वैश्विक महत्व

भारत में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस (AMR) बड़ी चुनौती है। हर साल लगभग 6 लाख लोग इसके कारण मर जाते हैं, जबकि दुनियाभर में निमोनिया से लगभग 20 लाख मौतें होती हैं। नेफिथ्रोमाइसिन मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम है, जो पुरानी दवाओं को बेकार बना देते हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, यह दवा भारत की फार्मा इंडस्ट्री के लिए गेमचेंजर साबित होगी। अब देश सिर्फ जेनेरिक दवाएं नहीं बनाएगा, बल्कि नई खोजों में भी आगे बढ़ेगा।

यह भी पढ़ें - भारतीय डॉक्टर ने बताए लिवर खराब होने के 4 शुरुआती लक्षण, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

जीन थेरेपी में भी बड़ी सफलता

भारत ने जीन थेरेपी के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सफलता पाई है। Hemophilia (खून बहने की बीमारी) के इलाज के लिए पहला स्वदेशी क्लिनिकल ट्रायल सफल रहा। यह ट्रायल क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर में DBT की मदद से हुआ। ट्रायल के परिणामों में 60-70% मरीजों में सुधार देखा गया और किसी में ब्लीडिंग की समस्या नहीं हुई। इस शोध का परिणाम New England Journal of Medicine में प्रकाशित हुआ है।



 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!