Indian Job Market: खतरे में लाखों नौकरियां! भारत तेजी से बन रहा गिग इकोनॉमी, जारी हुई बड़ी चेतावनी

Edited By Updated: 06 Nov, 2025 09:29 AM

india is now in the era of the gig economy

शेयर बाज़ार के जाने-माने विशेषज्ञ और मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने भारतीय रोज़गार बाज़ार के भविष्य पर एक बड़ी और कड़वी चेतावनी दी है। उनके अनुसार ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव के कारण भारत में व्हाइट...

नेशनल डेस्क। शेयर बाज़ार के जाने-माने विशेषज्ञ और मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने भारतीय रोज़गार बाज़ार के भविष्य पर एक बड़ी और कड़वी चेतावनी दी है। उनके अनुसार ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव के कारण भारत में व्हाइट कॉलर जॉब्स (White Collar Jobs) में वृद्धि का पहिया लगभग थम चुका है। यह बदलाव अस्थायी नहीं बल्कि जीवनयापन के तरीके में एक बुनियादी और स्थायी परिवर्तन का संकेत है।

 

नौकरियों की ग्रोथ रुकी: कॉर्पोरेट जॉब्स की वापसी मुश्किल

सौरभ मुखर्जी ने एक पॉडकास्ट के दौरान कहा कि भारत अब एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रहा है जहाँ सुरक्षित और पारंपरिक कॉर्पोरेट नौकरियों के मौके कम होते जाएंगे। उनका मानना है कि व्हाइट कॉलर जॉब्स की ग्रोथ में आया यह धीमापन अस्थायी नहीं है और पिछले 5 वर्षों में इनमें बमुश्किल ही बढ़ोतरी हुई है। उन्हें नहीं लगता कि अब इन नौकरियों में किसी भी तरह की सार्थक वृद्धि होने की कोई संभावना है क्योंकि ऑटोमेशन बड़ी कंपनियों के काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल रहा है।

 

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ऑटोमेशन का प्रभाव: कंपनियां बिना भर्ती कर रही हैं विस्तार

मुखर्जी बताते हैं कि अब बड़ी कंपनियों को विस्तार के लिए बड़ी टीमों की आवश्यकता नहीं है। HDFC बैंक, बजाज फाइनेंस, टाइटन और एशियन पेंट्स जैसी दिग्गज कंपनियां भी अब कर्मचारियों की संख्या बढ़ाए बिना ही तेज़ी से विस्तार कर रही हैं। ऑटोमेशन ने इन कंपनियों के लिए कम कर्मचारियों के साथ काम करना बेहद आसान बना दिया है जिससे बड़ी संख्या में नई भर्तियाँ होने की संभावना बहुत कम हो गई है।

 

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भारत बन रहा है गिग वर्कर्स की दुनिया

सौरभ मुखर्जी के अनुसार भारत में अब स्ट्रक्चर्ड सैलरीड जॉब्स में तेज़ी से गिरावट देखने को मिलेगी। इसके बजाय,देश में सेल्फ-एंप्लॉयमेंट (स्वरोजगार) और गिग वर्क आम बात हो जाएगी। ज़्यादा लोग स्वतंत्र रूप से काम करेंगे, जैसे फ्रीलांसर, ड्राइवर, कोडर, पॉडकास्टर, वित्तीय सलाहकार या क्रिएटर।  हर साल लाखों युवा जॉब मार्केट में आ रहे हैं ऐसे में देश को काम और कमाई के वैकल्पिक तरीकों पर सोचना होगा।

 

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भारत की बेहतर स्थिति

मुखर्जी का मानना है कि इस बदलाव को अपनाने के लिए भारत कई देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। भारत के पास युवा आबादी सस्ते डेटा, आधार और UPI जैसी मज़बूत डिजिटल प्रणालियाँ मौजूद हैं। ये सारी चीजें "गिग कर्मचारियों को एक साथ जोड़ने वाला गोंद" हैं जो डीसेंट्रलाइज्ड (विकेन्द्रीकृत) काम का एक मज़बूत आधार प्रदान करते हैं।

 

भविष्य के लिए सलाह

मुखर्जी ने वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को तैयार रहने की सलाह दी है। पारंपरिक व्हाइट कॉलर जॉब्स अब एक बड़ी चुनौती होंगे। हमें खुद को और अपने बच्चों को ऐसे भविष्य के लिए तैयार करना होगा जहां जीवन का एक बड़ा समय गिग वर्कर के रूप में बीतेगा। उनका कहना है कि ऑफिस कार्ड, ऑफिस कैब और एक ही कंपनी में दशकों तक काम करने का दौर अब खत्म हो रहा है।

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