रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी! ₹24,634 करोड़ के 4 बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी, अब नहीं होंगी ट्रेनें लेट

Edited By Updated: 07 Oct, 2025 06:58 PM

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केंद्र सरकार ने भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए चार प्रमुख प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं पर 24,634 करोड़ रुपये खर्च होंगे और 894 किलोमीटर लंबी रेल लाइनों का चौड़ीकरण किया जाएगा। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के व्यस्ततम...

नेशनल डेस्क : देशभर के करोड़ों रेल यात्रियों के लिए केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारतीय रेलवे के चार महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल गई। इन परियोजनाओं पर कुल 24,634 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिससे व्यस्त रेल मार्गों पर लगने वाले जाम से निजात मिलेगी और ट्रेनों की गति में भारी इजाफा होगा। इससे न केवल यात्रियों का सफर सुगम बनेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी।

चार राज्यों के 18 जिलों को मिलेगा लाभ
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद बताया कि ये प्रोजेक्ट्स महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे चार प्रमुख राज्यों से होकर गुजरेंगे। इनसे 18 जिलों को सीधा फायदा होगा। कुल 894 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक को अपग्रेड किया जाएगा, जहां मौजूदा सिंगल या डबल लाइनों को चार या छह लेन का बनाया जाएगा। मंत्री ने कहा, "ये कदम रेलवे को आधुनिक और विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में ऐतिहासिक है।"
प्रमुख प्रोजेक्ट्स: व्यस्त कॉरिडोरों पर फोकस

वर्धा-भुसावल सेक्शन (महाराष्ट्र): 314 किमी लंबा यह रूट मुंबई-हावड़ा कॉरिडोर का हिस्सा है। यहां तीसरी और चौथी लाइन बिछाने से ट्रेनों की आवाजाही में अभूतपूर्व तेजी आएगी। 84 किमी का यह खंड मुंबई-हल्दिया लाइन पर स्थित है। चौथी लाइन से मालगाड़ियों और पैसेंजर ट्रेनों को अलग ट्रैक मिलेंगे, जिससे ट्रैफिक जाम खत्म होगा।

वडोदरा-रतलाम सेक्शन (गुजरात-मध्य प्रदेश): 259 किमी लंबा यह प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर की रीढ़ है। अपग्रेड के बाद राजधानी एक्सप्रेस जैसे ट्रेनों का सफर और तेज होगा।

इटारसी-भोपाल-बीना सेक्शन (मध्य प्रदेश): 237 किमी के इस रूट पर चौथी लाइन बनेगी। दिल्ली-चेन्नई मार्ग का यह जंक्शन सैकड़ों ट्रेनों को फायदा पहुंचाएगा।

क्यों चुने गए ये रूट्स?
रेल मंत्री ने स्पष्ट किया कि ये चारों प्रोजेक्ट देश के सात सबसे व्यस्त रेल रूट्स का हिस्सा हैं, जहां 41 प्रतिशत माल (कार्गो) और 41 प्रतिशत यात्री ट्रैफिक गुजरता है। क्षमता से अधिक ट्रेनें चलने से अक्सर जाम लगता है, जिससे ट्रेनें लेट होती हैं। इन लाइनों के चौड़ीकरण से पैसेंजर ट्रेनें समय पर चलेंगी और मालगाड़ियों के लिए डेडिकेटेड कॉरिडोर बनेगा। इससे उद्योगों को कच्चा माल जल्दी मिलेगा और तैयार माल बंदरगाहों तक तेजी से पहुंचेगा।

2031 तक नया युग: तेज ट्रेनें, कम समय
इन प्रोजेक्ट्स के पूरा होने से रेलवे को नई जिंदगी मिलेगी। ट्रेनें अधिकतम रफ्तार से दौड़ेंगी, यात्रा समय घटेगा और मालगाड़ियों की औसत गति बढ़ेगी। सरकार का लक्ष्य 2030-31 तक सभी परियोजनाओं को धरातल पर उतारना है। इससे रेलवे नेटवर्क न केवल मजबूत बनेगा, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि को भी रफ्तार देगा। यात्रियों और व्यापारियों में इस फैसले का स्वागत हो रहा है। एक रेल यात्री ने कहा, "अब लेट ट्रेनों की समस्या से निजात मिलेगी।" रेलवे बोर्ड के अनुसार, ये प्रोजेक्ट्स 'अमृत भारत स्टेशन स्कीम' और 'डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' से जुड़ेंगे, जो रेलवे को आत्मनिर्भर बनाएंगे।

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