Edited By Parveen Kumar,Updated: 29 Oct, 2025 08:56 PM

अमेरिका के ऊंचे टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक रफ्तार पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। बल्कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ते हुए 7% की वृद्धि दर हासिल कर सकती है। यह कहना है देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार...
नेशनल डेस्क: अमेरिका के ऊंचे टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक रफ्तार पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। बल्कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ते हुए 7% की वृद्धि दर हासिल कर सकती है। यह कहना है देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन का।
‘A’ रेटिंग की ओर बढ़ता भारत
इंडिया मैरीटाइम वीक (IMW) के दौरान नागेश्वरन ने कहा कि तीनों प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने हाल ही में भारत की क्रेडिट रेटिंग आउटलुक को ‘पॉजिटिव’ किया है। उन्होंने कहा “अगर देश मौजूदा दिशा में आगे बढ़ता रहा, तो जल्द ही भारत ‘A’ रेटिंग कैटेगरी में पहुंच सकता है”। नागेश्वरन के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था की जुझारू क्षमता, सरकार की राजकोषीय नीतियों और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के संयमित दृष्टिकोण ने देश को एक “आरामदायक आर्थिक स्थिति” में बनाए रखा है।
अमेरिकी शुल्कों का असर नहीं, नीतियों से बढ़ी ताकत
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि अमेरिकी हाई टैरिफ जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत की विकास गति बनी हुई है। उन्होंने बताया कि आयकर में राहत, GST सुधार और नीतिगत कदमों ने मिलकर चालू वित्त वर्ष में लगभग 7% GDP वृद्धि का आधार तैयार किया है। फरवरी 2025 में नागेश्वरन ने अनुमान लगाया था कि GDP वृद्धि दर 6.3% रहेगी, जिसे अमेरिकी शुल्क प्रभाव को देखते हुए घटाकर 6% किया गया था। उन्होंने कहा “लेकिन अब, मांग और निवेश को बढ़ाने के लिए किए गए समयबद्ध उपायों ने अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत कर दिया है”।
RBI के कदमों से मिला संतुलन
बैंक लोन वृद्धि में सुस्ती को लेकर पूछे गए सवाल पर नागेश्वरन ने कहा कि हमें सिर्फ बैंक ऋण नहीं, बल्कि कुल पूंजी प्रवाह (Total Resource Mobilisation) पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि गैर-बैंक ऋणदाता, वाणिज्यिक पत्र (Commercial Papers), डिपॉजिट सर्टिफिकेट्स और इक्विटी मार्केट्स के माध्यम से भी बड़ी मात्रा में पूंजी जुटाई जा रही है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह वर्षों में कुल संसाधन जुटाने में 28.5% वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है।
समुद्री उद्योग के लिए 300 अरब डॉलर की जरूरत
इसी कार्यक्रम में IFSCA के चेयरमैन के. राजारामन ने कहा कि भारत की शिपिंग, पोर्ट्स और मरीन इंडस्ट्री को आने वाले वर्षों में 300 अरब डॉलर से अधिक फंडिंग की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि इस पूंजी को जुटाने में गिफ्ट सिटी (GIFT City) एक प्रभावी अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म के रूप में उभर रहा है।