Edited By Tanuja,Updated: 27 Dec, 2025 01:39 PM

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने चेताया है कि कनाडा और ब्रिटेन में दबाव बढ़ने के बाद खालिस्तान समर्थक नेटवर्क ने अपना फोकस ऑस्ट्रेलिया की ओर मोड़ दिया है। वहां भारत-विरोधी नारे, झंडे का अपमान, तोड़फोड़ और भारतीय प्रवासियों को उकसाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी...
International Desk:भारतीय खुफिया एजेंसियों ने खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर एक अहम अलर्ट जारी किया है। एजेंसियों के अनुसार, कनाडा और ब्रिटेन में हाल के महीनों में सख्ती और कूटनीतिक दबाव बढ़ने के बाद खालिस्तानी नेटवर्क ने अपनी गतिविधियों का केंद्र ऑस्ट्रेलिया की ओर स्थानांतरित कर दिया है।सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि कनाडा और यूके में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों की रफ्तार अब धीमी पड़ रही है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में हाल के महीनों में तेजी से उभार देखने को मिला है। खालिस्तानी तत्व बड़ी मात्रा में संसाधन और प्रचार अभियान अब ऑस्ट्रेलिया में झोंक रहे हैं, जिसका सबूत वहां हुई हालिया हिंसक और उकसाऊ घटनियां हैं।
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में पहले भी तथाकथित “रेफरेंडम” कराए गए थे, लेकिन जुलाई, अगस्त और दिसंबर में इन गतिविधियों का स्तर असाधारण रूप से बढ़ गया। भारत-विरोधी भित्तिचित्र, सार्वजनिक स्थलों पर तोड़फोड़ और उकसाऊ नारे आम होते जा रहे हैं। विशेष रूप से ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) जैसे संगठनों के सोशल मीडिया अभियानों का फोकस भी अब ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कार्यक्रमों और प्रदर्शनों पर केंद्रित है। अधिकारियों के अनुसार, सोशल मीडिया के जरिए बार-बार भारतीयों को निशाना बनाने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत-विरोधी नारे लगाने की खुली अपील की जा रही है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह फोकस शिफ्ट जानबूझकर की गई रणनीति है, ताकि कनाडा और यूके में दबाव कम रहे और आंदोलन किसी अन्य देश में बिना रोक-टोक जारी रह सके। भारत ने पहले ही कनाडा और ब्रिटेन के साथ इस मुद्दे को औपचारिक रूप से उठाया है, और दोनों देशों ने सहयोग का आश्वासन दिया है। हाल के महीनों में वहां खालिस्तान समर्थकों पर कुछ कार्रवाई भी देखी गई है। ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थकों ने भारतीय तिरंगे का अपमान, भारत-विरोधी नारे और भड़काऊ वीडियो फैलाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। दिसंबर में एक प्रदर्शन के दौरान तिरंगा फाड़े जाने के वीडियो बड़े पैमाने पर प्रसारित किए गए, जिनका इस्तेमाल जानबूझकर उकसावे और कट्टरता फैलाने के लिए किया गया।
हालांकि, इस बार ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासी समुदाय ने भी खुलकर विरोध और प्रतिकार किया। ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारों का जवाब ‘भारत माता की जय’ से दिया गया। अगस्त में स्वतंत्रता दिवस पर खालिस्तान समर्थकों द्वारा उकसावे की कोशिश को भारतीयों के विरोध और ऑस्ट्रेलियाई पुलिस की तत्परता से विफल कर दिया गया, जिससे संभावित सड़क हिंसा टल गई। जुलाई में मेलबर्न के एक गुरुद्वारे में भारत-विरोधी नारे लिखे गए और भारतीय नेतृत्व की तुलना हिटलर से करने जैसी घृणित हरकतें भी सामने आईं। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया को निशाना बनाने का एक कारण वहां करीब 8 लाख भारतीयों की बड़ी आबादी है, जो अब इन घटनाओं के कारण सामाजिक तनाव का सामना कर रही है।
एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि कनाडा और यूके की तरह ऑस्ट्रेलिया में भी फ्री स्पीच की आड़ में नफरत और उकसावे को बढ़ावा दिया जा रहा है। यदि समय रहते सख्ती नहीं की गई, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा, “हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन हिंसा और उकसावे के खिलाफ सख्त रेखा खींचते हैं। हम इन मुद्दों पर भारत के साथ लगातार संपर्क में हैं।”भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का स्पष्ट मानना है कि खालिस्तान समर्थक नेटवर्क का यह नया ऑस्ट्रेलिया-केंद्रित अभियान संगठित, प्रायोजित और भारत-विरोधी एजेंडे का हिस्सा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही रोका जा सकता है।