संयुक्त राष्ट्र अदालत के फैसले पर असमंजस

Edited By ,Updated: 05 May, 2016 02:11 PM

italian marines disagree detention the supreme court bail

दो इतालवी नौसैनिकों की गिरफ्तारी के मामले में भारत और इटली के बीच विवाद अभी सुलझा नहीं है। दोनों देश इस बात पर भी

दो इतालवी नौसैनिकों की गिरफ्तारी के मामले में भारत और इटली के बीच विवाद अभी सुलझा नहीं है। दोनों देश इस बात पर भी असहमत हैं कि संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता अदालत ने आखिर क्या फैसला सुनाया है। भारत का आरोप है कि इटली आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की एक मध्यस्थता अदालत का फैसला है कि भारत चार वर्षोंं से भी ज्यादा समय से दिल्ली में हिरासत में रखे गए इतालवी नौसैनिक को रिहा कर उसे घर वापस जाने की इजाजत दी जाए। भारत सरकार की आपत्ति है कि इटली ने संयुक्त राष्ट्र अदलात के फैसले को गलत ढंग से पेश किया है, जिससे कि लग रहा है कि अदालत ने नौसैनिक की रिहाई का आदेश दिया है। किसी भी मरीन को बरी नहीं किया गया और गिरोने नामक नौसेनिक की जमानत की शर्त भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की जाएगी। भारत की शर्त है कि गिरोन को जमानत मिल जाती है, तो वह इटली सरकार वह मामले की सुनवाई में जरूरत पड़ने पर उसकी भारत वापसी का वादा करे।

गौरतलब है कि दो इतालवी नौसैनिकों पर फरवरी 2012 में केरल के पास समुद्र में दो भारतीय मछुआरों की हत्या का आरोप लगा था। नौसैनिकों का कहना था कि उन्होंने मछुआरों को गलती से समुद्री डाकू समझकर गोली चलाई थी। एक आरोपी नौसैनिक पहले ही इटली लौट चुका है। भारत का शुरू से यह दावा रहा है कि फरवरी 2012 की घटना उसकी समुद्री सीमा में हुई थी, जबकि इटली के मुताबिक यह घटना अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में हुई थी। यह विवाद फिर इस झगड़े में बदल गया कि भारत की अदालत को इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार है या नहीं। न्यायिक क्षेत्र का विवाद आखिरकार पिछले साल जून में संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता अदालत में पहुंच गया। तब से यह मामला भारत और इटली के बीच खटास का विषय रहा है। 

पिछले साल दोनों देशों ने मामले को हेग में स्थाई मध्यस्थता अदालत ले जाने और उसका फैसला मानने पर सहमति जताई थी। दो भारतीय मछुआरों के मारे जाने से स्वाभाविक ही भारत में काफी तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। केरल में तो यह जनाक्रोश का एक खास मुद्दा रहा है। मध्यस्थता अदालत का अंतरिम आदेश ऐसे वक्त आया है जब केरल में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी इस बार खाता खुलने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है विदेश मंत्रालय भी अपनी प्रतिक्रिया में काफी सावधानी बरत रहा है। 

इतालवी मरीन की जमानत के लिए अदालत ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में जाने का निर्देश जरूर दिया है। दोनों देश इसे अपनी-अपनी जीत मान रहे हैं। इटली संतुष्ट है कि भारत स्थित इतालवी दूतावास में नजरबंद इतालवी मरीन की रिहाई हो जाएगी है। भारत खुश है कि इस मामले को हमारे सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में माना गया है। इसलिए किसी भी मरीन को आजाद नहीं किया जाएगा। दूसरे नौसैनिक की जमानत की शर्तें भारत का सुप्रीम कोर्ट तय करेगा। भारत का कहना है इस फैसले से उसके दावे की पुष्टि हुई है कि यह मामला भारतीय सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है। मध्यस्थता अदालत के मुताबिक इतालवी मरीन को जमानत दिलाने के लिए दोनों पक्ष भारत की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाएं। 

इस मामले का एक अहम बिंदू यह भी है क्या इस अंतरिम आदेश को इटली की तरफ झुका माना जाए,क्योंकि इस अदालत के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। संयुक्त राष्ट्र की इस अदालत में इसका प्रावधान नहीं है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!