Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 Mar, 2022 12:44 PM
पत्नी से रेप के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक बड़ा बयान दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति केवल इसलिए रेप के मुकदमे से नहीं बच सकता, क्योंकि पीड़िता उसकी पत्नी है।
नेशनल डेस्क: पत्नी से रेप के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक बड़ा बयान दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति केवल इसलिए रेप के मुकदमे से नहीं बच सकता, क्योंकि पीड़िता उसकी पत्नी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि बलात्कार का मतलब बलात्कार ही होता है, चाहे वो पति ने ही क्यों न किया हो। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी की सहमति के बिना उससे संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में रखा जाएगा।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह समानता के अधिकार के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि सांसदों को "चुप्पी की आवाज" पर ध्यान देना चाहिए और क़ानून में असमानताओं को दूर करना चाहिए।
पति के खिलाफ बलात्कार के आरोप को हटाने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा सदियों पुरानी घिसीपिटी सोच को मिटा दिया जाना चाहिए जिसमें पति अपनी पत्नी के शासक हैं, उनके शरीर, मन और आत्मा के मालिक है। हाई कोर्ट ने कहा कि पति की ओर से पत्नी पर की गई यौन प्रताड़ना का पत्नी की मानसिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ता है। इसका मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार का असर उस पर होगा।
हाई कोर्ट ने कहा कि पति के इस प्रकार के कृत्य पत्नियों की आत्मा को आघात पहुंचाते हैं। अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इसलिए अब कानून निर्माताओं के लिए जरूरी है कि वे ‘‘खामोशी की आवाज को सुनें। दरअसल, एक पति पर अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने पर धारा 376 के तहत केस दर्ज किया गया था, आरोपी पति ने हाईकोर्ट में धारा 376 हटाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने याचिका खारिज करते हुए ये बातें कहीं।