कर्नाटक: आरक्षण को लेकर हिंसक प्रदर्शन पर सियासी घमासान; भाजपा, कांग्रेस ने लगाए एक-दूसरे पर आरोप

Edited By Yaspal,Updated: 28 Mar, 2023 05:58 PM

karnataka political tussle over violent protests over reservation

कर्नाटक में शिवमोगा जिले के शिकारीपुरा में बंजारों के हिंसक प्रदर्शन को लेकर मंगलवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक घमासान शुरू हो गया

नेशनल डेस्कः कर्नाटक में शिवमोगा जिले के शिकारीपुरा में बंजारों के हिंसक प्रदर्शन को लेकर मंगलवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक घमासान शुरू हो गया। हिंसक प्रदर्शन को लेकर दोनों दलों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। शिकारीपुरा में सोमवार को उस समय चार पुलिस कर्मी घायल हो गए, जब बंजारा समुदाय के हजारों लोग अनुसूचित जाति (एससी) के आंतरिक आरक्षण पर राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। बाद में यह प्रदर्शन हिंसक हो गया।

पथराव में पूर्व मुख्यमंत्री और शिकारीपुरा के विधायक बी एस येदियुरप्पा के घर की कुछ खिड़कियों के शीशे क्षतिग्रस्त हो गए थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने येदियुरप्पा के घर पर पथराव को भाजपा में ‘‘आंतरिक साजिश'' से जोड़ा, जबकि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह कहते हुए पलटवार किया कि यह साबित करने के लिए सबूत हैं कि इसके पीछे कांग्रेस के लोग थे और हिंसा सुनियोजित थी।

बोम्मई ने एक सवाल पर कहा, ‘‘वह (शिवकुमार) क्या कह रहे हैं? कांग्रेस हर जगह साजिश कर रही है। स्थानीय स्तर पर जो लोग पकड़े गए हैं, वे सभी कांग्रेस से हैं। कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार का इस बारे में क्या कहना है?'' मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कांग्रेस नेताओं का कृत्य कैमरे में दर्ज हो गया... (बंजारा) समुदाय के लोगों को कुछ पता नहीं था, उन्होंने (कांग्रेस) झूठी खबर फैलाई कि समुदाय को एससी सूची से हटा दिया जाएगा और उन्हें उकसाया गया। पिछली रात एक बैठक के बाद इसकी व्यवस्थित योजना बनाई गई थी। मैं जो कह रहा हूं, उसके सबूत हैं।''

राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने भी आरोप लगाया कि कुछ दल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं और पुलिस घटना में शामिल लोगों से पूछताछ कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘शिकारीपुरा की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, कुछ लोगों द्वारा भड़काए जाने के कारण यह हुआ। कोई निर्दोष लोगों से इस तरह के कृत्यों में शामिल होने की उम्मीद नहीं कर सकता। मेरे पास जानकारी है कि इस घटना के पीछे कुछ राजनीतिक हित वाले लोग थे। इस संबंध में पूछताछ की जा रही है।'' ज्ञानेंद्र ने कहा, ‘‘चार से पांच अन्य मामलों में शामिल लोग इस घटना के पीछे हैं...निर्दोष लोगों को उकसाया गया...येदियुरप्पा के आवास पर, पुलिस पर पथराव करना सही नहीं है। सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए।''

मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को एससी (लेफ्ट) के लिए 6 फीसदी, एससी (राइट) के लिए 5.5 फीसदी, स्पृश्यों (बंजारा, भोवी, कोरचा, कुरुमा आदि) के लिए 4.5 फीसदी और अन्य के लिए एक फीसदी आंतरिक कोटा की सिफारिश की थी। सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। अनुसूचित जातियों का एक वर्ग आंतरिक आरक्षण की मांग कर रहा है। उनका आरोप है कि केवल कुछ प्रभावशाली उप-जातियां अधिकांश लाभ हासिल कर रही हैं, जबकि कई समुदाय अभी भी हाशिए पर हैं।

शिकारीपुरा में सोमवार की हुई घटना पर टिप्पणी करते हुए, शिवकुमार ने दावा किया कि येदियुरप्पा के घर पर पथराव का कारण उन्हें राजनीतिक रूप से खत्म करने की भाजपा की आंतरिक राजनीति है। शिवकुमार ने कहा, ‘‘येदियुरप्पा मुख्यमंत्री नहीं हैं, वह सरकार का हिस्सा नहीं हैं। आरक्षण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री (बोम्मई) ने बड़ा भ्रम पैदा किया है। अब भाजपा और केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) उन्हें केंद्र में लाना चाहते हैं, एक तरह से उन्होंने (शाह) उनकी (येदियुरप्पा) उपेक्षा करने को स्वीकार किया, इसलिए वह हाल में उनके घर नाश्ते के लिए गए थे....बहुत सारी आंतरिक चीजें हैं।''

शिवकुमार ने दावा किया कि अगर मुख्यमंत्री के घर पर या सत्ता में बैठे लोगों पर पथराव किया गया, तो यह अलग बात है, क्योंकि इसे गुस्से की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है, लेकिन येदियुरप्पा के घर पर पथराव का मतलब आंतरिक लड़ाई है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा के तहत मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त करने और इसे वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के बीच समान रूप से बांटने के सरकार के फैसले पर निशाना साधते हुए, शिवकुमार ने आरोप लगाया कि यह कदम ‘‘पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के बिना'' किया गया। शिवकुमार ने कहा, ‘‘हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे, हमारी सरकार 40 दिनों के बाद सत्ता में आएगी, हम इसे खत्म कर देंगे।''

पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) नेता एच डी कुमारस्वामी ने हिंसा पर टिप्पणी करते हुए कहा, भाजपा नीत सरकार ने ऐसी स्थिति पैदा की, उन्हें इसे सुधारना होगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण राजनीति या वोट के लिए नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि गलत फैसले समुदायों के बीच दरार पैदा करेंगे। कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘मैं मुस्लिम समुदाय की सराहना करता हूं, अगर वे ओबीसी सूची के तहत अपने 4 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने के सरकार के फैसले के खिलाफ सड़कों पर आए होते तो इससे स्थिति और खराब होती...यह समाज में खूनखराबा करने के लिए भाजपा की निम्न स्तर की राजनीति है।''

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