Edited By Parveen Kumar,Updated: 07 Dec, 2025 11:08 PM

राजस्थान के कोटा में रविवार सुबह एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में आठ महीने की गर्भवती महिला की कथित चिकित्सकीय लापरवाही के कारण मौत हो गई जिसके बाद परिवार के सदस्यों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘‘लापरवाह कर्मचारियों'' के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए...
नेशनल डेस्क: राजस्थान के कोटा में रविवार सुबह एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में आठ महीने की गर्भवती महिला की कथित चिकित्सकीय लापरवाही के कारण मौत हो गई जिसके बाद परिवार के सदस्यों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘‘लापरवाह कर्मचारियों'' के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। घटना का संज्ञान लेते हुए बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने हस्तक्षेप किया, जिसके बाद जिला प्रशासन ने मामले की जांच करने और एक उच्च-स्तरीय समिति गठित करने का आदेश दिया।
अधिकारियों के अनुसार, बूंदी जिले के केशवराय पाटन क्षेत्र की निवासी 42 वर्षीय इंदिरा कंवर आठ महीने की गर्भवती थीं और उन्हें शनिवार शाम साढ़े सात बजे बूंदी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बूंदी जिला अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. एल. एन. मीणा के अनुसार, ड्यूटी पर तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अमर सिंह ने जांच रिपोर्ट के आधार पर बताया कि महिला का हीमोग्लोबिन स्तर 4.7 ग्राम है, जो बेहद कम और जानलेवा है। उन्होंने महिला को रक्त चढ़ाने की सलाह दी और परिवार को रक्त की व्यवस्था करने को कहा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा कर्मचारियों ने तत्काल इलाज शुरू किया, लेकिन परिवार देर रात तक रक्त की व्यवस्था नहीं कर पाया। चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि रविवार सुबह महिला को रक्त चढ़ाया गया, लेकिन करीब पांच बजे उसकी हालत बिगड़ गई। इसके बाद ड्यूटी पर मौजूद डॉ. मोबिन अख्तर ने परिवार को उसकी गंभीर स्थिति की सूचना दी और सुबह छह बजकर 10 मिनट पर उसे कोटा के जेकेलोन अस्पताल रेफर कर दिया।
अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल ले जाते समय महिला की रास्ते में ही मौत हो गई। परिजनों के साथ विरोध-प्रदर्शन के दौरान मौजूद रहे कांग्रेस की बूंदी शहर इकाई के अध्यक्ष शैलेश सोनी ने आरोप लगाया कि ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने समय पर रक्त नहीं चढ़ाया, जिससे महिला की मौत हुई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बूंदी में मौत होने के बावजूद कर्मचारियों ने उसे कोटा रेफर कर दिया। सोनी ने बताया कि जब परिवार सुबह करीब सात बजकर 30 मिनट पर कोटा अस्पताल पहुंचा, तो चिकित्सकों ने जांच के बाद बताया कि महिला की मौत करीब तीन घंटे पहले हो चुकी थी।
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि गर्भवती महिला के साथ केवल एक दिन नहीं, बल्कि गर्भधारण के बाद पूरे आठ महीनों तक लापरवाही बरती गई। बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा कि एएनएम (सहायक नर्स-दाई), सीएचओ (सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी) और आशा (स्वास्थ्य कार्यकर्ता) की जिम्मेदारी है कि गर्भधारण के साथ ही महिला की देखभाल करें, लेकिन उन्होंने यह जिम्मेदारी नहीं निभाई।
बूंदी के उपखंड अधिकारी लक्ष्मीकांत मीणा ने बताया, ‘‘मामले की जांच के लिए एडीएम, बूंदी की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति गठित की गई है, जिसमें बूंदी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हैं।'' उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया। प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. एल. एन. मीणा ने कहा कि मामले को गंभीरता से लेते हुए कोटा के संयुक्त निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) के निर्देश पर ड्यूटी पर तैनात डॉ. मोबिन अख्तर को कोटा मुख्यालय में पदस्थापन आदेश की प्रतीक्षा में रखा गया है। यूनिट के अन्य कर्मचारियों का भी तबादला कर दिया गया है।