जानिए कौन हैं तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी जिन्हें भाजपा बिहार में देने जा रही बड़ी जिम्मेदारी

Edited By Seema Sharma,Updated: 16 Nov, 2020 01:36 PM

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नीतीश कुमार सोमवार को 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं उपमुख्यमंत्री के तौर पर तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी का नाम लिया जा रहा है। दरअसल रविवार को एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में ही दोनों का चयन भाजपा विधानमंडल दल के नेता व उपनेता...

नेशनल डेस्क: नीतीश कुमार सोमवार को 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं उपमुख्यमंत्री के तौर पर तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी का नाम लिया जा रहा है। दरअसल रविवार को एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में ही दोनों का चयन भाजपा विधानमंडल दल के नेता व उपनेता के तौर पर हुआ है। इससे पहले माना जा रहा था कि सुशील मोदी एक बार फिर से उपमुख्यमंत्री चुने जाएंगे लेकिन एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में  तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी के नाम पर मुहर लगी। आज शाम साढ़े 4 बजे नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा।  

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तारकिशोर प्रसाद
तारकिशोर प्रसाद (52) वैश्य समुदाय से आते हैं और वे चौथी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। प्रसाद आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न दायित्वों को निभा चुके हैं। उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में अपना पेशा कृषि बताया था और शिक्षा इंटरमीडिएट पास बताई थी। तारकिशोर प्रसाद एक ऐसा चेहरा हैं जिनकी छवि काफी मजबूत रही है। साल 2015 में लालू और नीतीश की मजबूत जोड़ी भी तारकिशोर प्रसाद के दुर्ग को भेद नहीं सकी थी। तारकिशोर प्रसाद के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए इस बार भाजपा उनको बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है। 

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रेणु देवी
रेणु देवी अति पिछड़ा वर्ग के तहत नोनिया समुदाय से आती हैं और बेतिया सीट से चार बार विधायक चुनी गई हैं। रेणु देवी दूसरी बार एनडीए सरकार में मंत्री बनने जा रही हैं। 1 नवंबर 1959 को जन्मी रेणु देवी बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गई थीं। 1981 में रेणु देवी ने चंपारण और उत्तर बिहार में महिलाओं के हक के लिए लड़ाई शुरू की और साल 1988 में वे भाजपा की दुर्गावाहिनी की जिला संयोजक बनीं। इसके बाद साल 1990 में तिरहुत प्रमंडल में उनको महिला मोर्चा का प्रभारी बनाया गया और 1991 में प्रदेश महिला मोर्चा की महामंत्री बनीं। रेणु देवी साल 1992 में जम्मू-कश्मीर में तिरंगा यात्रा में भी शामिल हुई थी। साल 2014 में भाजपा ने उनको बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। वे 2007 में बिहार सरकार में कला एवं संस्कृति मंत्री बनीं और 2010 चुनाव में बेतिया से जीत हासिल की, लेकिन 2015 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी से हार गई। हालांकि 2020 में एक बार फिर से उन्होंने बेतिया सीट से ही जीत दर्ज की है।

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