अलविदा 2018: मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के लिए याद रखा जाएगा यह साल

Edited By vasudha,Updated: 20 Dec, 2018 04:56 PM

madhya pradesh will be remembered for change of power this year

अनेक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों का साक्षी रहा वर्ष 2018 मध्यप्रदेश में पंद्रह सालों बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के अंत के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ नेता कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस के सत्तासीन होने का गवाह बनकर इतिहास...

भोपाल: अनेक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों का साक्षी रहा वर्ष 2018 मध्यप्रदेश में पंद्रह सालों बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के अंत के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ नेता कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस के सत्तासीन होने का गवाह बनकर इतिहास में दर्ज हो गया। विधानसभा चुनावी वर्ष होने के कारण इस बार वर्ष भर राजनीतिक सरगर्मियां चलतीं रहीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राज्य के अनेक दौरे किए। 
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चुनावी तैयारियों के बीच प्रदेश भाजपा और प्रदेश कांग्रेस संगठन के नेतृत्व में बदलाव भी इस वर्ष की सुर्खियां रहीं। दिसंबर में आए विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस ने 15 साल बाद भारतीय जनता पार्टी से बेहद कड़े मुकाबले के बाद राज्य की सत्ता में वापसी की। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ की मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी के साथ ही उनकी सक्रियता और तत्काल बड़े निर्णय सियासी गलियारों के साथ ही आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बने। 

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वहीं पराजय की पूरी जिम्मेदारी स्वीकारने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने का वादा किया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 17 दिसंबर को पदभार ग्रहण करने के कुछ ही घंटों के भीतर किसानों के दो लाख रुपए तक की सीमा के कर्जमाफी संबंधी फाइल पर दस्तखत कर दिए। इसके साथ ही अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों ने उन्हें देश भर में सुर्खियों में ला दिया।

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कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीरें भी देश की राजनीति में आगामी लोकसभा चुनावों के पहले कई संकेतों को जन्म देती दिखाई दीं। इस भव्य समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के घटक दलों के शीर्षस्थ नेताओं ने शामिल होकर आगामी लोकसभा चुनाव के पहले केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ समूचे विपक्ष के एकजुट होने के संकेत दिए। हालांकि राज्य की कमलनाथ सरकार को समर्थन देने वाली बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की गैरमौजूदगी भी चर्चा का विषय बनी। 

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