Edited By Anu Malhotra,Updated: 12 Aug, 2025 10:56 AM

बैंकिंग ग्राहकों के लिए न्यूनतम बैलेंस को लेकर जारी विवाद के बीच रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने साफ किया है कि वह बैंकों द्वारा तय किए जाने वाले न्यूनतम बैलेंस पर किसी प्रकार का नियंत्रण या रोक नहीं लगाएगा। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है...
नेशनल डेस्क: बैंकिंग ग्राहकों के लिए न्यूनतम बैलेंस को लेकर जारी विवाद के बीच रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने साफ किया है कि वह बैंकों द्वारा तय किए जाने वाले न्यूनतम बैलेंस पर किसी प्रकार का नियंत्रण या रोक नहीं लगाएगा। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि यह जिम्मेदारी और अधिकार पूरी तरह से बैंकों के हाथ में है कि वे अपने ग्राहकों से कितना न्यूनतम बैलेंस रखने को कहेंगे। इस बयान के बाद आईसीआईसीआई बैंक द्वारा नए सेविंग्स अकाउंट के लिए न्यूनतम बैलेंस बढ़ाने का कदम और भी चर्चा में आया है।
ICICI Bank ने बढ़ाया न्यूनतम बैलेंस
ICICI Bank ने 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होने वाले नियम के तहत नए बचत खाते खोलने वालों के लिए औसत मासिक बैलेंस की सीमा काफी बढ़ा दी है। मेट्रो और शहरी शाखाओं में यह राशि पहले 10,000 रुपये थी, जिसे अब 50,000 रुपये तक कर दिया गया है। वहीं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यह सीमा 5,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये की गई है, जबकि ग्रामीण इलाकों में न्यूनतम बैलेंस की मांग 10,000 रुपये निर्धारित की गई है।
आरबीआई ने क्यों नहीं किया दखल?
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मेहसाणा जिले के गोजरिया ग्राम पंचायत में आयोजित वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बैंक न्यूनतम बैलेंस तय करने में स्वतंत्र हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ बैंक 2,000 रुपये की न्यूनतम राशि लेते हैं तो कुछ बैंक ग्राहकों को इससे पूरी तरह छूट भी देते हैं। ऐसे में इस मामले में केंद्रीय बैंक का कोई दखल नहीं है।
पुरानी और नई नियमावली
ICICI Bank का यह नया नियम केवल उन ग्राहकों पर लागू होगा जो 1 अगस्त 2025 के बाद नया बचत खाता खोलेंगे। मौजूदा खाताधारकों के लिए फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया जाएगा जब तक कि बैंक अपनी ओर से नई अधिसूचना जारी न करे। नियम का उल्लंघन करने पर बैंक पेनाल्टी भी लगा सकता है।
ग्राहकों के लिए क्या मायने रखता है?
न्यूनतम बैलेंस बढ़ने से खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के ग्राहकों पर दबाव बढ़ सकता है। ऐसे में बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने वाले लोगों को अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में सावधानी बरतनी होगी। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में नियम बनाने या रोक लगाने का अधिकार बैंकों के पास ही है।